गाजियाबाद की एक अदालत ने 15 वर्ष पूर्व एक नाबालिग दलित लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इसी मामले में दो महिलाओं को दुष्कर्मियों से मिलीभगत के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार 27 अप्रैल 2007 को हापुड़ जिले के धौलाना थाना क्षेत्र के एक गांव में उर्स के मेले का आयोजन हो रहा था. पिंकी और विमला नामक महिलाएं 16 वर्षीय एक दलित किशोरी को उर्स मेले में एक दुकान पर काम दिलाने का झांसा देकर अपने साथ ले गई थी. देर रात जब मेला खत्म होने वाला था तो उन महिलाओं ने लड़की को एक बगीचे में लगे हैंडपंप से पानी लाने के लिए भेजा.
इसी दौरान कलुवा, आसिफ, अख्तर और शाह फैजल नामक युवकों ने लड़की को पकड़ लिया और उसे बगीचे के अंदर ले जाकर उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया. उसके बाद चारों ने उससे सामूहिक बलात्कार किया.
लड़की के माता-पिता ने उसे काम दिलाने का झांसा देने वाली पिंकी और विमला को पकड़ कर उनसे पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन्हें लड़की को बहला-फुसलाकर बलात्कारियों के पास ले जाने के एवज में एक हजार रुपये दिए गए थे.
अपर सत्र न्यायाधीश हीरालाल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सोमवार को कलुवा, आसिफ, अख्तर और शाह फैजल को बलात्कार का दोषी मानते हुए उम्रकैद और 15-15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. इसके अलावा पिंकी और विमला को बलात्कारियों की मदद करने का कसूरवार मानते हुए आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई.
मामले की सुनवाई हापुड़ के न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में हुई. बाद में मामला विशेष अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालत गाजियाबाद में स्थानांतरित कर दिया गया था.
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