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This Article is From May 23, 2024

FT-OCCRP-सोरोस की साजिश मार्केट में मुंह के बल गिरी, अदाणी ग्रुप ने बिंदुवार दिया जवाब; ग्रुप के शेयर चढ़े

फाइनेंशियल टाइम्स-OCCRP का रिपोर्ट को लेकर विशेषज्ञों ने कहा कि जानबूझकर अदाणी ग्रुप को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है.

नई दिल्ली:

भारत की औद्योगिक तरक्की से दुनिया हैरान है. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दो साल में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. भारत की इस आर्थिक तरक्की में आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े उद्योग समूहों की बड़ी भूमिका है. इनमें से एक है अदाणी ग्रुप (Adani Group) जिसकी तरक्की देश की आर्थिक तरक्की और नए रोजगार तैयार होने से सीधी जुड़ी हुई है. लेकिन बीते कुछ समय में ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिनमें जानबूझकर अदाणी ग्रुप को निशाना बनाने की कोशिश की गई है. इनमें से एक हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत का सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है. 

अब एक बार फिर ऐसी ही एक और एकतरफा और तथ्यों से परे रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने छापी है. Organized Crime and Corruption Reporting Project (OCCRP) यानी ओसीसीआरपी के हवाले से इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अदाणी ग्रुप ने 2014 में घटिया क्वॉलिटी के कोयले को इंडोनेशिया से सस्ती दरों पर खरीदा और उसे कहीं ज्यादा महंगा और बेहतर कोयला बताते हुए तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी यानी TANGEDCO को बेच दिया. यही नहीं रिपोर्ट में इस मामले को भारत में वायु प्रदूषण से जोड़ दिया गया और लांसेट की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया कि भारत में हर साल 20 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से जान गंवाते हैं. ऐसी ही कुछ और रिपोर्ट्स का भी ज़िक्र इसमें किया गया. 

बाजार के रुख ने बता दिया कि रिपोर्ट है सतही 
हालांकि यह रिपोर्ट कितनी सतही है यह आज बाजार के रुख ने ही बता दिया, जब फाइनेंशियल टाइम्स - OCCRP और  सोरोस की साजिश मार्केट में मुंह के बल गिर गई. इस रिपोर्ट के बावजूद आज 23 मई को अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 8.01% चढ़ गया. इसके अलावा अदाणी एंटरप्राइजेज को BSE 30 में शामिल करने के आसार हैं. शुक्रवार को BSE इसका ऐलान कर सकता है. इसके अलावा आज ही अदाणी पोर्ट्स 4.72% चढ़ा. अदाणी पावर 2.79% चढ़ा और अदाणी टोटल  गैस 2.30% चढ़ा.

बाजार के विशेषज्ञ एक-एक खबर पर पैनी निगाह रखते हैं और इस रिपोर्ट पर बाजार को यकीन नहीं हुआ है क्योंकि इसमें लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की इस रिपोर्ट की पड़ताल करते हुए ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म Cantor ने भी एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप के हवाले से कहा गया है कि तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी यानी TANGEDCO का यह पर्चेज़ ऑर्डर एक फिक्स्ड प्राइस कॉन्ट्रैक्ट था जिसे कंपनी ने एक खुली, प्रतियोगी, वैश्विक बिडिंग प्रक्रिया में जीता था. अदाणी कंपनी पहले से तय एक कीमत पर कोयला तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी को सप्लाई करने को प्रतिबद्ध थी. TANGEDCO ने यह कीमत इसलिए तय की थी ताकि वह भविष्य में कोयले की कीमतों में होने वाले बदलाव से खुद को सुरक्षित रख सके. इस टेंडर के तहत 5,800 से 6,700 ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू का कोयला ही सप्लाई किया जा सकता था. अगर सप्लायर की ओर से इससे कम गुणवत्ता का कोयला सप्लाई किया जाता तो पैनल्टी लग सकती थी.

आपको बता दें कि ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू कोयले की प्रति किलोग्राम कैलोरी के आधार पर तय की जाती है. अगर प्रति किलोग्राम कोयले की कैलोरी कम होगी तो कोयले की क्वॉलिटी घटिया होगी और अगर कैलोरी ज्यादा होगी तो क्वॉलिटी अच्छी होगी. कोयले की क्वॉलिटी सप्लायर द्वारा टेस्ट नहीं की जाती बल्कि सप्लाई लेने वाले प्लांट द्वारा की जाती है जो यहां तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी है. इसलिए यह कहना विश्वास योग्य नहीं है कि अदाणी ने कम गुणवत्ता का कोयला खरीदकर उसे बेहतर गुणवत्ता का बताते हुए बेच दिया, क्योंकि कोयले का टेस्ट खरीदार द्वारा किया जाता है और उसी के आधार पर भुगतान होता है. यही नहीं सप्लाई किया गया कोयला 100 GCV  प्वॉइंट्स के भीतर था इसलिए उसे पूरे भुगतान योग्य समझा गया. अंत में कोयले के स्रोत को लेकर पूरा जोखिम सप्लायर का रहा क्योंकि यह एक फिक्स्ड प्राइस कॉन्ट्रैक्ट था.

फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कस्टम्स और Directorate of Revenue Intelligence(DRI)की रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया है. यह ध्यान देने वाली बात है कि कथित 2012 से 2014 के दौर में DRI और कस्टम्स ने सभी कोयला आयातकों पर आरोप लगाया था कि वे आयात की गई क्वॉलिटी को कम करके बता रहे हैं. वे ज्यादा कस्टम ड्यूटी की मांग कर रहे थे. इसलिए इस रिपोर्ट में जो बात कही गई है वह DRI और कस्टम्स की तब की बात के बिल्कुल उलट है.

बाजार को भी रिपोर्ट पर यकीन नहीं 
अदाणी ग्रुप ने कहा कि हमारा मानना है कि बाजार को भी इस रिपोर्ट पर यकीन नहीं है क्योंकि बाजार भी मान रहा है कि इस स्टोरी में कोई दम नहीं है... और आप देखिए शेयर बाजार क्या कह रहा है... आज ही अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 8.01% चढ़ गया.  

यही नहीं आपको यह भी बता दें कि इस तरह की मोटिवेटेड रिपोर्ट्स किस तरह से मीडिया के एक वर्ग में हाथों हाथ ली जाती हैं. यह भी गौर कीजिए कि रिपोर्ट मार्केट शुरू होने के साथ ही छपती है और मिनटों में आगे बढ़ा दी जाती है. 12 अक्टूबर 2023 को जैसे ही फाइनेंशियल टाइम्स का लेख छपा, देश विदेश के कई पत्रकारों ने इसे तुरंत री ट्वीट कर आगे बढ़ाना शुरू कर दिया.  अल सुबह साढ़े चार बजे साजिश का इंटरनेशनल मकड़जाल एक्टिव हो जाता है और कुछ ही देर में भारत समेत दुनिया भर में फैल जाता है.

हमारी इकानॉमी को डिस्टर्ब करने की बात : महेश जेठमलानी
फाइनेंशियल टाइम्स ने George Soros-backed OCCRP के दस्तावेजों के हवाले से लगातार भारतीय हितों को टारगेट किया है. ज्यादातर मामलों में आरोप लगाने वाले ही कठघरे में खड़े हो गए. फिर भी ऐसे हमले रुक नहीं रहे, क्या आपको लगता है कि यह एक साजिश के तहत हो रहा है?

इस सवाल पर सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि, यह फिजूल की बातें हैं, इसमें कोई दम नहीं है. यह 2014 का ट्रांजेक्शन है. जो हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बारे में जो पार्टिसिपेट किए थे, वही एक्टर्स इस बार फिर एक्टिव हैं. यह बेमतलब का इशू है. 

ऐन चुनाव के वक्त इस रिपोर्ट की क्या वजह नजर आती है? इस सवाल पर जेठमलानी ने कहा कि, यह हमारी इकानॉमी को डिस्टर्ब करने की बात है. अस्थिरता लाने की बात है. अदाणी ग्रुप को एक बहुत सीरियस मामले में सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिली है. अब दुबारा झूठ फैलाकर उनको डीफेम करने की बात है. सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी थी. किसी ने गैरकानूनी रूप से बहुत पैसे बनाए थे. अदाणी ग्रुप के 150 बिलियन डॉलर उस समय खो गए थे. किसी ने उसको प्राफिट के रूप में हासिल किया.    

उन्होंने कहा कि, जो अभी मुद्दा आया है, वह 2014 का इशू है.  इतने दिन तक OCCRP के इनवेस्टीगेशन क्या कर रहे थे.. यह प्राचीन काल का इशू है, उससे ही यह मालूम होता है कि ये लोग हताशा में यह कर रहे हैं. उनका इस इशू को लाना... और उस समय जब एनडीए सरकार नहीं थी, बल्कि यूपीए सरकार थी.. तो मेरा सीधा जवाब है कि मिनिस्टर फॉर कोयला जो उस समय था, उसको कठघरे में डालना चाहिए. 

भारत में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश : हर्षवर्धन त्रिपाठी
इस रिपोर्ट के आने के पीछे क्या मंशा देखते हैं? समझौता तमिलनाडु की सरकार, तमिलनाडु की कंपनी के साथ था और वहां पर बीजेपी की सरकार तो है नहीं? सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि, इस पूरे मसले को तीन तरह से देखा जाना चाहिए. सबसे पहला तो ये कि आज भारत का जो इंडस्ट्रियल लैंडस्कैप है उसमें गौतम अदाणी और अदाणी समूह एक ऐसी कंपनी के तौर पर दिखता है जो भारत से बाहर भी कई बुनियादी ढांचे वाले प्रोजेक्टों में दुनिया की बड़ी कंपनियों को रिप्लेस कर रहा है. भारत के स्ट्रैजिक इनवेस्टमेंट के तौर पर भी अदाणी समूह के कई निवेश दुनिया के कई देशों में हुए हैं. 

उन्होंने कहा कि, नंबर दो यह कि दुनिया की जो बड़ी कंपनियां हैं उसमें भारत की कंपनियां बड़ी हो रही हैं. अब वे उस साइज की हो रही हैं.. 200 बिलियन डॉलर, 300 बिलयन डॉलर.. यानी यह कहें कि हम दुनिया की टॉप 500 कंपनियों में हम नीचे आते थे, अब हमारी कंपनियां ऊपर बढ़ती हुई दिख रही हैं. विशेष तौर पर ऐसे समय में जब हम इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं, जब टेक्नालॉजी की बात करते हैं.. उसमें हमारी कंपनियां वहां खड़ी हुई हैं.  

हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि, तीसरी जो सबसे बड़ी बात है कि पिछले 10 साल से भारत में एक ऐसा नेतृत्व है, एक ऐसा चेहरा है जो बहुत आक्रामक तरीके से वर्ल्ड लीडरशिप में अपनी भूमिका निभा रहा है. अब अगर इन तीनों को जोड़कर देखें, उसे ध्वस्त करने की कोशिश होगी. हिंडनबर्ग की जब रिपोर्ट आई, उसके बाद जो कुछ हुआ, बहुत साफ-साफ दिखा..कि अगर अदाणी के फंडामेंटल्स मजबूत नहीं होते तो अदाणी ग्रुप अब तक हवा हो गया होता. उसको तो दिखना ही नहीं चाहिए था बाजार में. जिसके 20 हजार करोड़ के एफपीओ आने के पहले वह खबर हो .. और अदाणी ग्रुप ने वह एफपीओ वापस ले लिया.. अपनी साख बनाने के लिए वापस लिया और कमाल किए. 

उन्होंने कहा कि, इसका मतलब कि जिनको पैसे लगाने होते हैं न, उनसे ज्यादा किसी को पता नहीं होता. इसका मतलब जिस जॉर्ज सरोस फंडेड OCCRP की बात हो रही है.. जो राहुल गांधी विदेश में जाकर बयान दे रहे होते हैं... उन सबका लिंक भी इसमें दिखता है. यह भारत में राजनीतिक अस्थिरता लाने की कोशिश है.   उसमें नरेंद्र मोदी या गौतम अदाणी को या अंबानी अदाणी को एक साथ जोड़कर देखने की कोशिश है. अधीर रंजन चौधरी का वह बयान भी है कि जब पैसा आएगा तो चुप हो जाएंगे. मुझे इससे ज्यादा कुछ दिखता नहीं. बाजार ने उसका जवाब दे दिया है.    

लोग अदाणी ग्रुप को बदनाम करने की कोशिश कर रहे : संजय अशर
क्या इस मामले में कहीं न कहीं पॉलिटिकल मोटिवेटेड चीजें दिखाई देती हैं? सवाल पर Crawford Bayley & Co के सीनियर पार्टनर संजय अशर ने कहा कि, मेरे हिसाब से जो वेस्टेड इंटरेस्ट वाले लोग हैं उन्होंने ऐसी रिपोर्ट कराई हो सकती है. लेकिन जो बाजार में पैसा लगाता है वह बराबर सोच समझकर, तलाशी करके पैसा लगाता है. स्टॉक मार्केट की जो खबर रहती है, उसमें दम रहता है. क्योंकि उसमें थर्ड पार्टी के पैसे भी इनवेस्ट होते हैं. जो एफआईआई पैसे डालते हैं. तो मेरे हिसाब से स्टॉक मार्केट ने उसको डिस्काउंट नहीं किया है, बल्कि रिपोर्ट छापने के बावजूद अदाणी ग्रुप के शेयर के प्राइज ऊपर गए हैं. वो साफ-साफ दिखाई देता है, कि इस रिपोर्ट में कोई दम नहीं है. 

उन्होंने कहा कि, यह काफी पुराना मामला है, 10 साल पुराना मामला है. हिंडनबर्ग में भी कोई दम नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी है. लोग अदाणी ग्रुप को बदनाम करने, अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. इस ग्रुप ने पोर्ट, एयरपोर्ट, बिजली.. सब तरह के सेक्टर्स में मजबूत पैसे डाले हैं और उसको आगे बढ़ाता रहा है. रिपोर्ट में कोई दम नहीं है. स्टॉक मार्केट ने उसकी सही निर्णय दे दिया है. मार्केट वालों का इंटेलीजेंस सबसे आगे रहता है. 

अडाणी एंटरप्राइजेज कल बीएसई 30 में लिस्टेड होने वाला है. क्या इस पूरे घटनाक्रम को आप उससे भी जोड़कर देख रहे हैं? इस सवाल पर हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि, मैं इसको इसलिए ज्यादा संदेह की नजर से देखता हूं .. एफपीओ के पहले यही किया गया.. इंटरनेशनल कंपनियां, और हो सकता है कि उनके कुछ लोग भारत में भी हों, वे भी इसमें शामिल हों. क्योंकि जिस तरह से एक रिपोर्ट कहीं छपती है.. और किसी इंटरनेशनल मीडिया आर्गनाइजेशन को किसी एक कंपनी में इतना इंटरेस्ट हो जाता है... उस तरह के काम उसी सेक्टर में, उसी कारोबार में काम करने वाली दूसरी कंपनियों का उस रिपोर्ट में क्यों जिक्र नहीं होता? यह संदेह पैदा करता है. 

(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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