
- डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीद जारी रखने के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की.
- कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारत को ट्रंप के टैरिफ का जवाब टैरिफ लगाकर देने की सलाह दी है.
- शशि थरूर ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना बाजार की मौजूदा स्थिति और कीमतों के अनुसार तय करेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा का कांग्रेस नेता शशि थरूर ने करारा जवाब दिया है. उन्होंने NDTV से कहा कि भारत को चाहिए को वो ट्रंप के टैरिफ का जवाब टैरिफ लगाकर ही दे. इस दौरान उन्होंने भारत और रूस के रिश्तों पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि भारत को चाहिए कि वो रूस से आगे भी तेल खरीदना जारी रखे. शशि थरूर ने आगे कहा कि रूस से कितना तेल खरीदना है ये बाजार की मौजूदा स्थिति से तय होगा. अगर रूस हमें सस्ता तेल दे रहा है, जो अपनी जरूरत का है तो हमें रूस से कच्चे तेल के आयात को जारी रखना चाहिए.
आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 6 अगस्त को रूस से तेल खरीद जारी रखने के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. ट्रंप ने इसको लेकर एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए और यह अतिरिक्त टैरिफ 21 दिन में लागू हो जाएगा. इसके साथ ही भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में लगने वाला टैरिफ अब बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा. ट्रंप के इस टैरिफ वॉर पर भारत ने कड़ा जवाब दिया है और इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण” करार देते हुए कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा.
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को डेड (मृत) बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर मुहर लगाने वाले पार्टी नेता राहुल गांधी को जवाब दिया था. थरूर ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था मृतप्राय नहीं है जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है.
ट्रंप ने कहा था कि भारत और रूस दोनों अमेरिका अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को लेकर क्या कर रहे हैं, इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता. राहुल गांधी ने ट्रंप के बयान पर कहा था कि उन्होंने गलत क्या कहा. पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा सब जानते हैं.
थरूर ने कहा था कि यूरोपीय संघ के साथ भारत बातचीत कर रहा है. ब्रिटिश सरकार के साथ भारत एक समझौता कर चुका है. अन्य देशों से भी चर्चा जारी है. अगर हम अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते तो हमें अपने बाजारों में वैराइटी लानी पड़ेगी. विकल्पों की कमी नहीं है.
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