महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने शुक्रवार को एक जांच आयोग (Commission of Inquiry) के समक्ष कहा कि तत्कालीन सहायक निरीक्षक सचिन वाजे (Sachin Vaze) को मुंबई पुलिस की अपराध खुफिया इकाई का प्रमुख बनाए जाने के बाद, उन्हें कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं. देशमुख ने न्यायमूर्ति के. यू. चंडीवाल आयोग के सामने पेश होने के दौरान यह बात कही. आयोग, उन आरोपों की जांच कर रहा है जो मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह ने देशमुख पर लगाए थे.
एक सवाल के जवाब में देशमुख ने कहा, “वाजे 14-15 साल तक निलंबित था और सेवा में उसकी वापसी के बाद उसे सीआईयू का प्रमुख बना दिया गया था इसलिए मुझे कई शिकायतें मिलती थीं. आमतौर पर किसी निलंबित अधिकारी को दुबारा सेवा में लिया जाता है तो उसे किसी सहयोगी शाखा में नियुक्त किया जाता है.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख ने आयोग को बताया कि कई शिकायतें मौखिक रूप से मिली थीं और वह शिकायत करने वाले का नाम नहीं बता सकते. उन्होंने कहा कि गृह विभाग को लिखित में शिकायतें मिली होंगी. देशमुख ने कहा, “सचिन वाजे की नियुक्ति अपराध शाखा में हुई थी और तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के निर्देश पर उसे सीआईयू का प्रमुख बनाया गया था.”
उन्होंने कहा कि तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त संतोष रस्तोगी ने वाजे को सीआईयू का प्रमुख बनाये जाने पर आपत्ति की थी. एक अन्य सवाल के जवाब में पूर्व मंत्री ने कहा कि उन्होंने सिंह के पत्र में लगाए गए मिथ्या आरोपों की जांच के लिए मुख्यमंत्री को एक समिति बनाने का सुझाव दिया था. देशमुख से सोमवार को पूछताछ जारी रहेगी.
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