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बांग्‍लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को मौत की सजा, जानें अब क्‍या हैं विकल्‍प?

शेख हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया था. कोर्ट ने शेख हसीना को तीन मामलों में दोषी ठहराया है, जिनमें न्याय में बाधा डालना, हत्याओं का आदेश देना और दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने में विफल रहना शामिल है.

बांग्‍लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को मौत की सजा, जानें अब क्‍या हैं विकल्‍प?
मानवता के विरुद्ध अपराध के मामले में आईसीटी ने पूर्व पीएम शेख हसीना को सुनाई मौत की सजा
  • बांग्लादेश की कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराध में मौत की सजा सुनाई है
  • शेख हसीना को न्याय में बाधा डालने, हत्याओं का आदेश देने और अपराध रोकने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया
  • शेख हसीना के खिलाफ छात्र गिरफ्तारियां, टॉर्चर, एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग और फायरिंग के आदेश देने के भी आरोप
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नई दिल्‍ली:

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने पूर्व पीएम शेख हसीना को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सजा पर फैसला सुनाने के दौरान कहा था कि हसीना कठोरतम सजा की हकदार हैं. बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को आईटीसी ने "मानवता के विरुद्ध अपराध" के लिए मौत की सजा सुनाई है. विदेशी मीडिया के अनुसार, जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के लिए आईसीटी ने शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई. शेख हसीना के पास अब क्‍या विकल्‍प बचे हैं?

कोर्ट ने शेख हसीना को 3 मामलों में दोषी ठहराया

शेख हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया था. कोर्ट ने शेख हसीना को तीन मामलों में दोषी ठहराया है, जिनमें न्याय में बाधा डालना, हत्याओं का आदेश देना और दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने में विफल रहना शामिल है.



शेख हसीना के पास अब क्‍या विकल्‍प?

बांग्लादेश की पूर्व पीएम और अन्य के खिलाफ हत्या, अपराध रोकने में नाकामी, और मानवता के खिलाफ अपराध के अलावा छात्रों को गिरफ्तार कर टॉर्चर करने, एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग, फायरिंग, और बलों का घातक इस्तेमाल करने का आदेश देने समेत कई आरोप लगे हैं. इस वजह से इस केस की सुनवाई आईसीटीबीडी में की जाएगी. शेख हसीना के खिलाफ मृत्युदंड की मांग की गई और आईसीटीबीडी ने यही सजा सुनाई है. अब शेख हसीना के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं. शेख हसीना आईसीटीबीडी के फैसले के खिलाफ केवल बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट (अपील डिवीजन) का ही दरवाजा खटखटा सकती हैं.

वो कोर्ट जिसने हसीना को सुनाई मौत की सजा

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश की स्थापना खासतौर पर अपराधों की सुनवाई के लिए की गई है. इसकी स्थापना 1973 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल एक्ट के तहत की गई थी. इस अदालत में उन मामलों की सुनवाई होती है, जिनका अधिकार क्षेत्र सामान्य कोर्ट में नहीं आता है. इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य 1971 के युद्ध अपराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों, नरसंहार और सामूहिक अत्याचारों के मामलों की सुनवाई करना था. इसका मतलब है कि अगर किसी मामले को मानवता के विरुद्ध अपराध के अधीन रखा गया है, तो इसकी सुनवाई सिर्फ आईसीटीबीडी करेगा. 

आईसीटीबीडी ने 1971 के युद्ध अपराधों से जुड़े नेताओं को भी सुनाई थी सजा

इससे पहले आईसीटीबीडी ने 1971 के युद्ध अपराधों से जुड़े लगभग सभी बड़े नेताओं के केस की सुनवाई की है. कोर्ट ने गोलाम अजम, सईदी, कादिर मुल्ला, कमरुज्जमान, मोजाहिद, सलाउद्दीन क्वादर चौधरी, और मीर कासेम अली जैसे हाई-प्रोफाइल और ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि करीब 100 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी. बांग्लादेश ने 1971 में मुक्ति संग्राम के तहत पाकिस्तान से स्वाधीनता हासिल की थी. वहीं आईसीटीबीडी की स्थापना इंटरनेशनल क्राइम (ट्रिब्यूनल) अधिनियम के तहत की गई, जिसे 1971 के मुक्ति संग्राम के दो साल बाद पारित किया गया था. इसमें 25 मार्च से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक बांग्लादेश में किए गए नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपराधों में शामिल व्यक्तियों का पता लगाने, उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने के साथ ही उन्हें सजा दिलाने का काम शामिल था.

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