विज्ञापन

पहली बार वोट दे पाएंगे अंडमान की 'जारवा' ट्राइब के सदस्य, वोटर्स लिस्ट में जुड़े नाम

जारवा समुदाय के साथ पहला महत्वपूर्ण दोस्ताना संपर्क अप्रैल 1996 में हुआ, जो बाहरी दुनिया के साथ उनके संपर्क में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. यह घटनाक्रम उस वक्त शुरू हुआ था, जब जारवा जनजाति के 21 वर्षीय एनमेई को अपने बाएं टखने में गंभीर फ्रैक्चर हुआ था.

पहली बार वोट दे पाएंगे अंडमान की 'जारवा' ट्राइब के सदस्य, वोटर्स लिस्ट में जुड़े नाम
पोर्ट ब्लेयर:

अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, जारवा समुदाय के 19 सदस्यों के नाम मतदाता सूची में शामिल किये हैं और उन्हें मतदाता पहचान पत्र प्रदान किये गये हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मुख्य सचिव चंद्र भूषण कुमार ने खुद दक्षिण अंडमान जिले के जिरकाटांग स्थित बस्ती में जारवा आदिम जनजाति के सदस्यों को मतदाता पहचान पत्र सौंपे.

दक्षिण अंडमान जिला निर्वाचन अधिकारी अर्जुन शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमने जारवा समुदाय की अनूठी पहचान को बरकरार रखने और उनकी निजता की रक्षा के लिए एक व्यापक उपाय अपनाया.''

शर्मा ने कहा कि मतदाता सूची में उनके नाम शामिल करने की प्रक्रिया इस तरह से तैयार की गई थी कि उनके रोजमर्रा के जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप हो, लेकिन भारत के नागरिक के रूप में अपने अधिकारों को वे बखूबी समझें.

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लोकतांत्रिक विकास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो सभी नागरिकों के लिए समावेशिता और समानता सुनिश्चित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. समावेशिता और सांस्कृतिक संरक्षण के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन में, हमने सुनिश्चित किया कि प्रक्रिया का कोई भी पहलू जारवा लोगों की गरिमा से समझौता नहीं करेगा.''

अधिकारियों ने बताया कि इस उपलब्धि को हासिल करने में अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति (एएजेवीएस) की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिसने सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और सम्मानजनक तरीके से चुनावी प्रक्रिया के बारे में जारवा समुदाय के बीच जागरूकता पैदा कर इस प्रक्रिया को सुगम बनाया.

एएजेवीएस ने आदिम जनजाति की पारंपरिक समझ के अनुरूप तरीके अपनाए, चुनावों के महत्व और समुदाय के विशिष्ट सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाए बिना शासन को आकार देने में उनकी भूमिका को समझाया.

जारवा अंडमान द्वीप समूह की आदिम जनजातियों में से एक हैं, जो अपनी अर्ध-खानाबदोश जीवन शैली, वन संसाधनों पर निर्भरता और अपने प्राकृतिक पर्यावरण से गहरे जुड़ाव के लिए जानी जाती है.

जारवा लोग बाहरी संपर्क से अलग-थलग रहे हैं, जिससे उनकी अनूठी सांस्कृतिक परंपराएं संरक्षित रही हैं. वे दक्षिण और मध्य अंडमान द्वीप समूह के पश्चिमी तटों पर रहते हैं, जो जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र है और यह उनके पारंपरिक जीवन शैली के अनुरूप है.

जारवा समुदाय के साथ पहला महत्वपूर्ण दोस्ताना संपर्क अप्रैल 1996 में हुआ, जो बाहरी दुनिया के साथ उनके संपर्क में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. यह घटनाक्रम उस वक्त शुरू हुआ था, जब जारवा जनजाति के 21 वर्षीय एनमेई को अपने बाएं टखने में गंभीर फ्रैक्चर हुआ था.

शर्मा ने कहा, ‘‘प्रशासन ने उन्हें चिकित्सा उपचार प्रदान किया और उनके ठीक होने के बाद, उन्हें सुरक्षित रूप से उनकी बस्ती में वापस भेज दिया गया. यह घटनाक्रम जारवा समुदाय और प्रशासन के बीच परस्पर विश्वास और सम्मान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.''
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com