सरकार ने कोरोनावायरस और उसके प्रभावों से निपटने के लिए किसानों और जरूरतमंदों के साथ संगठित क्षेत्र के कामगारों का भी ख्याल रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहत पैकेज में सभी श्रेणी के लोगों की सहायता को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार अगले तीन महीने तक कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में कर्मचारी और नियोक्ता के योगदान (12%+12%= कुल 24%) का भुगतान करेगी. यह लाभ उन संस्थानों को मिलेगा, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 100 तक है, उनमें से 90 प्रतिशत का मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है. इससे संगठित क्षेत्र के 80 लाख मजदूरों और चार लाख संस्थाओं को लाभ मिलेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए ईपीएफ नियमों में भी बदलाव करने का फैसला किया गया है. इसके तहत कर्मचारी अपने ईपीएफ खाते से नॉन रिफंडेबल एडवांस के 75 प्रतिशत तक या तीन महीने का वेतन, जो भी कम हो, निकाल सकेगा. इससे 4.8 करोड़ कर्मचारियों को लाभ होगा.
सीतारमण ने आगे कहा कि सभी एटीएम परिचालन में रहेंगे. गरीब लोग रुपे कार्ड का उपयोग कर सकते हैं. जरूरी सेवाओं के रूप में सभी बैंकिंग परिचालन चालू रहेंगे. वित्त मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के मद्देनजर प्रवासी श्रमिकों, शहरी और ग्रामीण गरीबों, महिलाओं, दिव्यांग आदि को लाभ पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत 1,70,000 करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है.
सीतारमण ने तीन करोड़ गरीब वृद्धों, गरीब विधवाओं तथा गरीब दिव्यांगों को एक-एक हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की. इसके अलावा, 63 लाख स्वयं सहायता समूहों के जरिेये जुड़ी महिलाओं के लिए बिना गारंटी वाले कर्ज को दस लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया जाएगा. इससे 6.85 करोड़ परिवारों को मदद मिलेगी.
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