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This Article is From Jul 14, 2022

भारी बारिश से और बिगड़ सकती है बाढ़ की स्थिति, खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं 22 नदियां, 8 राज्यों के लिए अलर्ट

केंद्रीय जल आयोग की ताजा दैनिक बाढ़ स्थिति रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदी स्थलों की कुल संख्या जहां पानी खतरे के स्तर से ऊपर बह रहा है, 13 जुलाई को 15 से बढ़कर 22 हो गया. दो दिनों पहले ये संख्या 15 थी.

तटीय कर्नाटक और मलनाड के कई हिस्सों में बारिश जारी है जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं.

नई दिल्ली:

दक्षिण पश्चिम मानसून के प्रभाव से देश के विभिन्न हिस्सों में बीते कई दिनों से जमकर बारिश हो रही है. लगातार बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है. इसी क्रम में भारतीय मौसम विभाग ने 14 जुलाई को पश्चिमी तट, मध्य और आसपास के प्रायद्वीपीय भारत के साथ स्थित 8 राज्यों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. ऐसा हुआ तो देश में बाढ़ की स्थिति और खराब होने की संभावना है. 

केंद्रीय जल आयोग की ताजा दैनिक बाढ़ स्थिति रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि नदी स्थलों की कुल संख्या जहां पानी खतरे के स्तर से ऊपर बह रहा है, 13 जुलाई को 15 से बढ़कर 22 हो गया. दो दिनों पहले ये संख्या 15 थी. सीडब्ल्यूसी बाढ़ पूर्वानुमान नेटवर्क के अनुसार कुल चार नदियां (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में एक-एक) गंभीर बाढ़ की स्थिति में बह रहे हैं, और 18 नदियां (महाराष्ट्र में 5, असम, बिहार, तेलंगाना में 3-3 और आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 2-2) सामान्य से ऊपर बाढ़ की स्थिति में बह रहे हैं. 

नदियों के बढ़े हुए जलस्तर को देखते हुए 31 बैराजों और बांधों (कर्नाटक में 12, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना में 4-4, मध्य प्रदेश में 3, मध्य प्रदेश में 2 बांध, गुजरात और उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गुजरात में 1-1) के लिए पूर्वानुमान जारी किया गया है.

बता दें कि इन राज्यों के अलावा कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में बारिश का कहर जारी है. ऐसे में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तटीय जिलों के उपायुक्तों के साथ उडुपी जिले में बुधवार को बैठक की और हालात का जायजा लेने के साथ ही राहत व बचाव अभियान के बारे में जानकारी ली. 

तटीय कर्नाटक और मलनाड के कई हिस्सों में बारिश जारी है जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. इसके अलावा भूस्खलन और भू-कटाव की कई घटनाएं हुई हैं. क्षेत्र की नदियां उफान पर हैं, कई बांध अधिकतम सीमा तक भर गए हैं, कृषि भूमि और निचले इलाकों में जलभराव हो गया है, जिससे फसलों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है.

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