केरल के मछुआरों की हत्या मामले में यू-टर्न लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से दो आरोपी इतालवी मरीनों के खिलाफ आरोप में संशोधन करके इसे हत्या के बजाय हिंसा में बदलने के लिए कहा है, जिससे उन्हें मौत की सजा मिलने की संभावनाएं खत्म हो गईं।
गृह मंत्रालय ने अपने पुराने फैसले में संशोधन करते हुए एनआईए को 'सप्रेशन आफ अनलॉफुल एक्ट्स अगेंस्ट सेफ्टी ऑफ मैरीटाइम नेवीगेशन एंड फिक्स्ड प्लेटफाम्र्स ऑन कंटीनेंटल शेल्फ एक्ट' (एसयूए) के नए प्रावधान के तहत इतालवी मरीनों के अभियोजन को मंजूरी दी।
धारा 3.1 (ए) में पोत या स्थायी स्थल पर मौजूद व्यक्ति के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से जानबूझकर हिंसा करके पोत की सुरक्षित यात्रा या स्थायी स्थल की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले को अधिकतम दस साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
इससे पहले गृह मंत्रालय ने इस मामले में एसयूए कानून की धारा 3 (जी) (1) के तहत अभियोजन की मंजूरी दी थी, जिसमें कहा गया था कि किसी व्यक्ति की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा होगी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार के वादे के अनुसार, इस फैसले के बारे में सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया जाएगा।
इतालवी सरकार के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। इतालवी सरकार ने दोषी पाए जाने पर आरोपियों को मौत की सजा देने वाले कड़े प्रावधान लगाने के फैसले का कड़ा विरोध किया था। एनआईए ने एसयूए के तहत दो मरीनों मासिमिलियानो लतोरे और सलवातोरे गिरोने के अभियोजन को मंजूरी मांगी थी।
नई दिल्ली स्थित इतालवी दूतावास परिसर में मौजूद मरीन केरल के तट पर 15 फरवरी 2012 को दो मछुआरों की गोली मारकर हत्या के समय इतालवी पोत 'एनरिका लेक्सी' पर सवार थे।
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