इस बार की परेड में करीब 100 ब्लैक कैट कमांडो हिस्सा होंगे. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गणतंत्र दिवस के इतिहास में राजपथ पर होने वाली परेड में पहली बार नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स(एनएसजी) के कमांडो नजर आएंगे. ऐसा पहली बार हो रहा है कि 26 जनवरी को होने वाली परेड में एनएसजी कमांडो का दस्ता भाग लेगा. अब तक एनएसजी के कमांडो परेड की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने में ही लगे रहते थे लेकिन अब वे दूसरे जवानों के साथ कदम-ताल करते नजर आयेंगे. इसके लिए एनएसजी के जाबांज कमांडो ने रिहर्सल शुरू कर दी है.
परेड में अपने पारंपरिक काले कॉम्बेट ड्रेस में करीब 100 ब्लैक कैट कमांडो हिस्सा होंगे. इनमें से 72 कमांडो मार्च-पास्ट में हिस्सा लेंगे और बाकी के कमांडो ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली खास गाड़ियों में होंगे. खास बात ये भी है कि एनएसीजी के मार्चिंग दस्ते में डॉग स्क्वॉयड और बम निरोधक दस्ते भी होंगे. आतंकियों के बीच खौफ का पर्याय बन चुके एनएसजी के कमांडो अपने युद्धघोष यानी वॉर क्राई हैं ना, हैं ना, हिंदुस्तान' के साथ राजपथ पर मार्च पास्ट करेंगे और उनके हाथों में उनका खास हथियार एमपी-राइफल भी होगा.
परेड के दौरान ही बख्तरबंद गाड़ी के ऊपर खास सीढ़ी पर एक कमांडो चढ़ा हुआ दिखाई देगा जिससे पता चलता है कि अगर किसी ऊंची बिल्डिंग या फिर प्लेन पर चढ़ना हो तो कैसे चढ़ा जाता है. इससे ये भी पता चलता है कि अगर आतंकियों ने किसी बिल्डिंग में किसी को बंधक बनाया हो या फिर विमान हाईजैक हो जाने वाले हालात से कैसे निपटा जाता है उसका एक छोटा सा नमूना भी परेड में दिखेगा.
एनएसजी का गठन 1984 में हुआ था. देश के भीतर किसी भी तरह के आतंकी हमलों से निपटने के लिए एनएसजी का गठन किया गया था. बात चाहे मुंबई में हुए आतंकी हमले की हो या फिर गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले की. हर जगह एनएसजी के कमांडो ने अपना लोहा मनवाया है कि उनके आगे आतंकियों के हौसले पस्त हो जाते हैं. ये अलग बात है कि एनएसजी के जवानों को इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है. मुंबई हमले में मेजर संदीप उनीकृष्णन शहीद हो गए थे तो पठानकोट में हुए आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन. इसके बावजूद एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो के कदम पीछे नही हटे.
परेड में अपने पारंपरिक काले कॉम्बेट ड्रेस में करीब 100 ब्लैक कैट कमांडो हिस्सा होंगे. इनमें से 72 कमांडो मार्च-पास्ट में हिस्सा लेंगे और बाकी के कमांडो ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली खास गाड़ियों में होंगे. खास बात ये भी है कि एनएसीजी के मार्चिंग दस्ते में डॉग स्क्वॉयड और बम निरोधक दस्ते भी होंगे. आतंकियों के बीच खौफ का पर्याय बन चुके एनएसजी के कमांडो अपने युद्धघोष यानी वॉर क्राई हैं ना, हैं ना, हिंदुस्तान' के साथ राजपथ पर मार्च पास्ट करेंगे और उनके हाथों में उनका खास हथियार एमपी-राइफल भी होगा.
परेड के दौरान ही बख्तरबंद गाड़ी के ऊपर खास सीढ़ी पर एक कमांडो चढ़ा हुआ दिखाई देगा जिससे पता चलता है कि अगर किसी ऊंची बिल्डिंग या फिर प्लेन पर चढ़ना हो तो कैसे चढ़ा जाता है. इससे ये भी पता चलता है कि अगर आतंकियों ने किसी बिल्डिंग में किसी को बंधक बनाया हो या फिर विमान हाईजैक हो जाने वाले हालात से कैसे निपटा जाता है उसका एक छोटा सा नमूना भी परेड में दिखेगा.
एनएसजी का गठन 1984 में हुआ था. देश के भीतर किसी भी तरह के आतंकी हमलों से निपटने के लिए एनएसजी का गठन किया गया था. बात चाहे मुंबई में हुए आतंकी हमले की हो या फिर गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले की. हर जगह एनएसजी के कमांडो ने अपना लोहा मनवाया है कि उनके आगे आतंकियों के हौसले पस्त हो जाते हैं. ये अलग बात है कि एनएसजी के जवानों को इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है. मुंबई हमले में मेजर संदीप उनीकृष्णन शहीद हो गए थे तो पठानकोट में हुए आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन. इसके बावजूद एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो के कदम पीछे नही हटे.
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