
- मिग-21 फाइटर विमान को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर औपचारिक रूप से विदाई दी जा रही है.
- मिग-21 विमान भारतीय वायुसेना को साल 1963 से सेवा प्रदान कर रहा था और अब इसे रिटायर किया जा रहा है.
- पहला मिग-21 स्क्वाड्रन 1963 में चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था, जो भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण था.
चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर मिग-21 फाइटर विमान को विदाई दी जा रही है. इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद हैं. भारतीय वायुसेना को साल 1963 से अपनी सेवाएं दे रहा मिग-21 आज रिटायर हो रहा है. मिग 21 फाइटर जेल को एक खास अंदाज में विदाई दी जा रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, COAS जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सीएनएस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी इस मौके पर मौजूद रहे.
वॉटर कैनन से यूं दी गई MIG-21 को सलामी

#WATCH | Chandigarh | The decommissioning ceremony of the Indian Air Force's MIG-21 fighter aircraft fleet is underway. pic.twitter.com/YTUGpRaLKW
— ANI (@ANI) September 26, 2025
मिग-21 विमान स्वदेशी तेजस विमान के साथ उड़ान भरते हुए- मैं यह गौरव अगली पीढ़ी को सौंपता हूं' का संदेश दे रहा है.
#WATCH | चंडीगढ़: मिग-21 विमान स्वदेशी तेजस विमान के साथ उड़ान भरते हुए, 'मैं यह गौरव अगली पीढ़ी को सौंपता हूं' का संदेश दे रहा है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 26, 2025
मिग-21 विमानों को 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था और 63 वर्षों की सेवा के बाद आज इन्हें सेवामुक्त कर दिया जाएगा। pic.twitter.com/67g3IQFYLD
मिग-21 ने 63 साल की सेवा में 1971 की जंग हो या फिर कोई और अवसर हर मौके पर यह विमान खड़ा उतरा है. हर जंग में दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए. पर कहते हैं हर चीज की एक आयु होती है तो मिग-21 भी अब रिटायर हो रहा है. लेकिन उसकी सेवाओं ने देश को कई गर्व करने के मौके दिए. तो इस जोरदार और बेजोड़ लड़ाकू विमान को भी वैसी ही विदाई दी जा रही है. लगभग 6 दशक पहले, साल 1963 में मिग-21 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. पहला मिग-21 स्क्वाड्रन 1963 में चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था.
MIG-21 की आखिरी उड़ान...
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62 साल बाद हुई MIG-21 की विदाई, आसमान के 'फाइटर' ने आज भरी आखिरी उड़ान, वीडियो देखें#Mig21 | #video pic.twitter.com/1ijcyvICLn
मिग-21 की विदाई के दौरान भारतीय वायुसेना की विशिष्ट स्काईडाइविंग टीम ‘आकाश गंगा' द्वारा शानदार प्रदर्शन किया गया, जिन्होंने 8,000 फुट की ऊंचाई से ‘स्काईडाइव' की. इसके बाद मिग-21 विमानों की शानदार फ्लाईपास्ट शुरू हुई. सूर्य किरण एरोबैटिक टीम ने भी अपने अद्भुत करतबों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद इस लड़ाकू विमान ने कई मोर्चों पर भारत की जीत में भूमिका निभाई. संख्या में सीमित होने के कारण भी मिग-21 विमानों ने 1965 के युद्ध में भूमिका निभाई.
#WATCH | Raksha Mantri Rajnath Singh attends the decommissioning ceremony of the Indian Air Force's MIG-21 fighter aircraft fleet. CDS Gen Anil Chauhan, COAS Gen Upendra Dwivedi, and CNS Admiral Dinesh K Tripathi also present.
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MiG-21s were inducted into the Indian Air Force in… pic.twitter.com/7LeQ4lFSIW
1971 के युद्ध में इन फाइटर जेट्स का योगदान और भी महत्वपूर्ण रहा. इससे भारतीय वायुसेना को पश्चिमी क्षेत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं और क्षेत्रों पर हवाई श्रेष्ठता मिली.
#WATCH | Chandigarh | The decommissioning ceremony of the Indian Air Force's MIG-21 fighter aircraft fleet is underway.
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MiG-21s were inducted into the Indian Air Force in 1963, and will be decommissioned today after 63 years of service. pic.twitter.com/37SE6MviQf
मिग-21 को कारगिल युद्ध में भी तैनात किया गया था. यह अक्सर कमांडरों की पहली पसंद होता था. इसकी आसमान में गर्जना राष्ट्र के आत्मविश्वास के साथ गूंजती थी. इसे कई फिल्मों में भी दर्शाया गया है. इस विमान से जुड़ी अनगिनत कहानियां और किस्से हैं, जिन्हें मिग-21 हमेशा के लिए पीछे छोड़ रहा है.
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