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This Article is From Nov 22, 2021

सरकार को समझाने में एक साल लग गया कि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं: राकेश टिकैत

उन्होंने कहा कि 2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह उन मुख्यमंत्रियों की वित्तीय समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है?

सरकार को समझाने में एक साल लग गया कि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं: राकेश टिकैत
उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार किसानों से उनसे जुड़े मुद्दों पर बात करे
लखनऊ:

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने सोमवार को कहा कि किसानों को सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि उन्हें वापस लेते समय भी किसानों को बांटने की कोशिश की गई. यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, "उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी भाषा में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की भाषा दूसरी थी. जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गये कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं."

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उन्होंने कहा कि वह एक साल में समझ पाये कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया, उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया लेकिन किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों को समझने में विफल रहे, हम कुछ लोग हैं? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफीनामे का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम माफी मांगने से नहीं बल्कि नीति बनाने से मिलेगा. टिकैत ने इस दावे का भी विरोध किया कि एमएसपी के लिए एक समिति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि यह असत्य है.

उन्होंने कहा कि 2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह उन मुख्यमंत्रियों की वित्तीय समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है? समिति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सुझाव दिया था कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की जरूरत है. इस समिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी है. किसी नयी समिति की जरूरत नहीं है और न ही देश के पास इतना ज्यादा समय है.

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टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के के सामने स्पष्ट जवाब देना होगा कि क्या वह उस समिति के सुझाव को स्वीकार करेंगे, जिस समिति का वह हिस्सा थे. सरकार की हालिया घोषणा पर उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसानों ने नहीं बल्कि सरकार ने की है और किसानों के सामने कई मुद्दे हैं. उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार किसानों से उनसे जुड़े मुद्दों पर बात करे, हम दूर नहीं जा रहे हैं और पूरे देश में बैठकें होंगी और हम लोगों को आपके काम के बारे में बताएंगे. टिकैत ने किसानों से कहा कि वे आप सभी को हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-सिख और जिन्ना में उलझाएंगे और देश को बेचते रहेंगे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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