सरकार के आश्वासन पर मुंबई से 90 किलोमीटर दूर ठहर गए किसान, ऐलान का इंतजार

महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की मांगों पर जल्द कोई फैसला लेकर घोषणा नहीं की तो वे फिर से लॉन्ग मार्च शुरू कर देंगे

सरकार के आश्वासन पर मुंबई से 90 किलोमीटर दूर ठहर गए किसान, ऐलान का इंतजार

महाराष्ट्र के आंदोलनकारी किसान मुंबई से 90 किलोमीटर दूर वासिंद में रुक गए हैं.

मुंबई:

नासिक से शुरू हुआ किसान लॉन्ग मार्च छठे दिन मुंबई से 90 किलोमीटर दूर वासिंद में रुक गया है. सरकार के आश्वासन के बाद किसान यहां रुककर अपनी मांगों पर जल्द ही कोई ऐलान होने का इंतजार कर रहे हैं. किसानों की परेशानी इतनी बड़ी है कि वे धूप में पैदल चलकर प्रदर्शन करने को तैयार हैं.

मुंबई से 90 किलोमीटर दूर वासिंद में आदिवासी किसानों ने शाम को गीत गाते हुए अपना खाना बनाया. वे इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों को कब मंजूर करती है. राज्य सरकार के आश्वासन के बाद किसान कुछ दिन यहीं रहेंगे और ऐलान का इंतजार करेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो उनका मार्च फिर से शुरू हो जाएगा.

नासिक के नंदगांव तालुका से इस मार्च में शामिल हुईं 65 वर्षीय भिकुनाई मोरे इस उम्र में भी गन्ने के खेतों में मजदूरी करती हैं. उनकी जमीन वन विभाग के नाम है इसलिए उन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिलता. घर में शादी थी तो भिकुबाई ने एक कॉन्ट्रैक्टर से डेढ़ लाख रुपये का कर्ज लिया. अब वे मजदूरी करके कर्ज चुका रही हैं. इन किसानों को अपने गांवों में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं.

कर्ज के जाल में फंसे रहना मजबूरी  
भिकुबाई मोरे ने कहा, ''मैंने डेढ़ लाख का कर्ज लिया है. सौ रुपये पर 10 रुपये का ब्याज लग रहा है. हम इसे कैसे चुकाएंगे. हम काम करते हैं, उससे जितना पैसा निकलता है वह चुकाते हैं. उसके बाद दोबारा कर्ज लेते हैं और दोबारा काम करते हैं. इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है.''

एक महिला किसान ने कहा, ''आज तक हमारे गांव में बिजली नहीं पहुंची है. बिजली का खंबा है, लेकिन बिजली नहीं है. पहले रॉकेल के जरिए घर में हम दिया जलाते थे, सरकार ने उसे भी बंद कर दिया.''

प्याज के अपेक्षित दाम नहीं मिलने से किसान परेशान
इस मोर्चे में प्याज उत्पादक किसान भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. नासिक के चांदवड़ तालुका के सुरेश बनकर ने पांच एकड़ में तीन लाख रुपये खर्च किए, मिले केवल डेढ़ लाख. उनकी तरह दूसरे भी किसान हैं जो नुकसान झेलते हुए अपनी फसल बेच रहे हैं. यह सभी सरकार के 300 रुपये के अनुदान से असंतुष्ट हैं.

सुरेश बानकर ने कहा, ''तीन लाख रुपये खर्च करके भी डेढ़ लाख मिला. मैंने बैंक से ढाई लाख का कर्ज लिया था, अब मुझे किसी और से 50 हजार रुपये लेकर बैंक में देना पड़ा. अगर कर्ज समय पर नहीं भरता तो बैंक वाले बाद में कर्ज नहीं देते.''

एक किसान ने कहा, ''हम कितनी बार यह लॉन्ग मार्च निकालेंगे. अगर सरकार 100 फीसदी अनुदान दे, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करे तो बहुत सारे सवाल सुलझ जाएंगे.''

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

सरकार ने अगर सोमवार तक इन किसानों के लिए राहत का ऐलान कर जीआर नहीं निकाला तो यह किसान एक बार फिर से मुंबई की ओर पैदल चलने लगेंगे. वासिंद में आपको हर किसान परेशान और बेबस ही मिलेगा.