किसान यूनियनों (Farmers Protest) के मंगलवार को प्रस्तावित 'दिल्ली चलो' मार्च से पहले प्रशासन की तरफ से व्यापक तैयारी की गयी है. हरियाणा और दिल्ली में कई स्थानों पर कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक और कंटीले तार लगाकर पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है. इसके अलावा निषेधाज्ञा लागू की गई है और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा चुका है.
दिल्ली में धारा 144 लागू
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई, जिसमें पुलिस को प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी प्रयास करने का निर्देश दिया गया. 2020-21 के किसानों के आंदोलन स्थलों में से एक, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी अवरोधक लगाए गए हैं और पुलिस की जांच तेज कर दी गई है. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए, दिल्ली पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी सीमा पर 5,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है.
दिल्ली पुलिस की तरफ से ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की गयी है
दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी एडवाइजरी के अनुसार सोमवार और मंगलवार को दिल्ली में प्रवेश करने वालों को भारी जाम का सामना करना पड़ सकता है. बॉर्डर पर जांच के कारण गाड़ियों की लंबी कतारें लग सकती हैं. दिल्ली पुलिस की तरफ से अपील की गयी है कि लोग अधिक से अधिक सार्वजनिक वाहनों का ही उपयोग करें. पुलिस के अनुसार गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिये जाएंगे. इन जगहों पर जाने से लोगों को बचने के लिए कहा गया है.
Traffic Advisory
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) February 11, 2024
In view of the proposed farmers' protest at various borders of Delhi from 13.02.2024, traffic will be affected.
For commercial vehicles, traffic restrictions/diversions will be imposed from 12.02.2024.
Kindly follow the advisory.#DPTrafficAdvisory pic.twitter.com/3KDZbWP7Pu
विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को अवरुद्ध करने के कदम की रविवार को विपक्षी दलों और किसान समूहों ने आलोचना की. हालांकि, अधिकारियों ने निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का हवाला देते हुए पाबंदियों का बचाव किया. पंजाब के मुख्यमंत्री और ‘आप' के नेता भगवंत मान ने दिल्ली और हरियाणा में प्रवेश करने वाली सड़कों की तुलना भारत-पाकिस्तान सीमा से की है.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी सड़कों पर अवरोधक लगाए जाने की निंदा की. उन्होंने कहा, “हम बातचीत के लिए तैयार हैं और बातचीत से कभी नहीं भागेंगे.” उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ''अगर स्थिति खराब हुई तो इसकी जिम्मेदारी खट्टर (हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर) सरकार की होगी. ''
विरोध प्रदर्शन से जुड़े लोगों को न दे पेट्रोल: प्रशासन
दिल्ली के करीब स्थित हरियाणा के सोनीपत में जिला प्रशासन ने ईंधन पंप मालिकों के लिए एक आदेश भी जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि वो बोतलें या अन्य कंटेनर ईंधन न भरें. ट्रैक्टरों के लिए 10-लीटर की कैप पेश की गई है. प्रशासन ने चेतावनी दी है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़े लोगों को ईंधन मुहैया कराने पर कार्रवाई की जाएगी.
केंद्र ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है
केंद्र सरकार ने किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को कहा था कि केंद्र ने उन्हें अपनी मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा कि तीन केंद्रीय मंत्री - पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय - संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करने के लिए 12 फरवरी को चंडीगढ़ पहुंचेंगे.
किसान क्यों कर रहे हैं आंदोलन?
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानो संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.13 फरवरी को 200 से अधिक किसान यूनियनों के समर्थन से 'दिल्ली चलो' मार्च की घोषणा की है.
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