विज्ञापन
This Article is From Dec 18, 2020

कृषि कानून रातोंरात नहीं लाए गए, 20-22 साल में हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मध्य प्रदेश में एक किसान सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर किसान कानूनों का समर्थन किया. पीएम ने कहा कि ये जो कृषि कानून लाए गए हैं, वो रातों-रात नहीं लाए गए, पिछले 20-22 सालों में हर सरकार ने इसपर व्यापक चर्चा की है.

PM मोदी ने कृषि कानूनों पर हो रहे आंदोलन के जरिए विपक्ष पर बोला हमला.

नई दिल्ली:

Farmers' Protests over Farm Laws: मध्य प्रदेश में एक किसान सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर किसान कानूनों का समर्थन किया. पीएम ने कहा कि ये जो कृषि कानून लाए गए हैं, वो रातों-रात नहीं लाए गए, पिछले 20-22 सालों में हर सरकार ने इसपर व्यापक चर्चा की है. पीएम ने कहा कि 'बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है.'

PM ने कहा कि देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं, सिर्फ इन मांगों को टालते रहे.'

उन्होंने इस आंदोलन का समर्थन कर रहे विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि 'अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं, जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया.'

यह भी पढ़ें : यूपी में किसान प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए संभल के 6 किसानों को 50 लाख का नोटिस, फिर रकम घटाई गई

PM ने विपक्ष पर हमला जारी रखते हुए कहा कि 'किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है. किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट. रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने?'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com