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फर्जी खबरों के लिए कौन जिम्मेदार? अश्विनी वैष्णव के बयान के बाद क्या आएगा बदलाव 

Google And Meta Algorithms: गूगल और मेटा जैसी कंपनियां के कारण भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ मीडिया कमजोर हो रहा है. यहां जानिए क्या हैं चिंता के कारण...

फर्जी खबरों के लिए कौन जिम्मेदार? अश्विनी वैष्णव के बयान के बाद क्या आएगा बदलाव 
Google And Meta Algorithms: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है.

Google And Meta Algorithms: मोबाइल के युग में हर जगह से सूचनाएं आ रही हैं. कौन सी सूचना सही है और कौन सी गलत? इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो गया है. हालांकि, आज से कुछ सालों पहले तक ये स्थिति नहीं थी. कारण मीडिया संस्थान ही खबरों के स्रोत होते थे और वहां से सूचनाएं पूरी तरह छानबीन कर ही आगे बढ़ाई जाती थीं. मीडिया संस्थान तो आज भी वही कर रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गूगल और मेटा पर कोई भी इन सूचनाओं को अपने नजरिए से लोगों को परोस दे रहा है. दुनिया भर के मीडिया संस्थानों का इन बातों को लेकर गुगल और मेटा के साथ मतभेद रहा और मामला अदालतों तक भी पहुंचा. अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और यूरोप ने तो अपनी शर्तें इन कंपनियों से मनवा ली, लेकिन भारत में अभी मामला लटका हुआ है. जबकि इनकी आय सालों-साल बढ़ती जा रही है.   

मनमाने तरीके से भुगतान

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर फर्जी और सनसनीखेज खबरों के साथ-साथ भारतीय मीडिया संस्थानों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देश के लिए चिंता का विषय बताया. कारण ये है कि मोबाइल के युग में कंटेंट और वीडियो बनाने वाले मीडिया संस्थानों का कंटेंट और वीडियो गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है. यूजर वहीं सारा कंटेंट और वीडियो देख लेता है और सारा फायदा इन कंपनियों को हो जाता है. इसके बाद मनमाने ढंग से ये कंपनियां इन मीडिया संस्थानों को पेमेंट करती हैं.

देश का मुनाफा घट रहा

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर अश्विनी वैष्णव ने इस चिंता के पीछे के कारण भी गिनाए. उन्होंने कहा कि भारत में 35 हजार दैनिक समाचार पत्र और एक हजार पंजीकृत समाचार चैनल हैं. समाचार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिससे मीडिया की पहुंच बढ़ रही है. इसके बावजूद आमदनी घट रही है. बगैर किसी का नाम लिए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी पहुंच का फायदा उठाकर इन मीडिया संस्थानों को उचित भुगतान नहीं कर रहे.

देश की चिंता के कारण

अश्विनी वैष्णव ने इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के एल्गोरिदम पर भी सवाल उठाए. इसी एल्गोरिदम के जरिए ये सोशल प्लेटफॉर्म इन मीडिया संस्थानों के कंटेंट और वीडियो को आकलन करते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाते हैं. मतलब ये खुद तय करते हैं कि कौन सा कंटेंट और वीडियो लोगों को दिखाया जाना चाहिए और कौन सा नहीं. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ज्यादातर सनसनीखेज या विभाजनकारी कंटेंट और वीडियो को बढ़ावा देते हैं. इसकी वजह से सही और प्रमाणिक खबरें पीछे रह जाती हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश का मीडिया संस्थान हर खबर की गुणवत्ता से लेकर उसकी सच्चाई जानने के लिए बड़ी संख्या में पत्रकार रखते हैं. सालों से देश में ऐसे ही पत्रकारिता होती रही है, लेकिन अब इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की वजह से ऐसी भ्रामक खबरें मीडिया की विश्वसनीयता और लोकतंत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बनती जा रही हैं.

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