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This Article is From Feb 17, 2020

आस्था बनाम मौलिक अधिकार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आवश्यक धार्मिक प्रथा को विनियमित भी किया जा सकता है

एक धार्मिक पहलू भी सुधार का विषय हो सकता है, यह हमारे संविधान की पहचान है, सती प्रथा इसका एक उदाहरण

आस्था बनाम मौलिक अधिकार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आवश्यक धार्मिक प्रथा को विनियमित भी किया जा सकता है
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

आस्था बनाम मौलिक अधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने कहा कि यहां तक ​​कि अगर एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, तो इसे विनियमित किया जा सकता है, अगर यह अनुच्छेद में  दिए गए तीन आधारों को प्रभावित करता है. चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह हमारे संविधान की पहचान है. सती प्रथा  इसका एक उदाहरण है. यहां तक ​​कि एक धार्मिक पहलू भी सुधार का विषय हो सकता है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अंतिम खंड एक "नास्तिक" या अज्ञेय के लिए है. वह यह भी कहता है कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द इसे अनुच्छेद में लाने से पहले के शब्दों से रंग लेता है. उन्होंने  धर्म के लिए उपलब्ध बहुलवाद में कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसके कई नियम हैं जो मौजूद हैं. हर मंदिर के अलग-अलग कोड होते हैं. भगवान कृष्ण की पूजा एक बच्चे के रूप में करते हैं और दूसरे लोग राजा के रूप में करते हैं. अगर मैं एक निश्चित मंदिर में जाता हूं जो ड्रेस कोड निर्धारित करता है तो मैं इसका पालन करूंगा.

सीजेआई ने मेहता से पूछा कि क्या आप कह रहे हैं कि धर्म मनुष्य के अपने निर्माता के साथ संबंध को नियंत्रित करता है? और इन सभी संप्रदायों और संप्रदायों के इस रिश्ते की प्रकृति को विनियमित करने और तय करने का अधिकार है? तो, क्या आप कह रहे हैं कि संप्रदाय के बाहर कोई और इसे निर्धारित कर रहा है? उन्होंने कहा कि क्या  एसजी यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि एक मुस्लिम हिंदू प्रथाओं का फैसला नहीं कर सकता है और एक बौद्ध मुस्लिम प्रथाओं का फैसला नहीं कर सकता है. चीफ जस्टिस ने पूछा एसजी का पहला बिंदु क्या है?

तुषार मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 25, 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के मुद्दे के अधीन है. ये इस मौलिक अधिकार पर लागू होने वाली पाबंदियां हैं. हर मौलिक अधिकार द्वीप नहीं है; हर अधिकार हर चीज पर लागू होता है. मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार प्रतिबंधित या विनियमित अधिकार नहीं है.

इस मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी.

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