साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि आंकड़ों की चोरी रोकने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
होमलैंड सिक्योरिटी सेवाओं से जुड़ी कंपनी एसीएसजी कारपोरेट के कार्यकारी निदेशक वीके भाटी ने कहा, 'डेटा सुरक्षा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। चाहे यह सरकारी क्षेत्र में हो या निजी क्षेत्र में। बड़ी कंपनियों में आंकड़ों की चोरी रोकने के उपाय हैं, लेकिन मझोली व छोटी कंपनियों में ऐसी सुविधाओं का अभाव है।'
भाटी ने कहा कि इसके अलावा सरकारी विभागों को डेटा सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। इसका एक बेहतर तरीका यह हो सकता है कि साइबर अपराधों पर अंकुश के प्रयासों में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाए।
एक अन्य साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मयूर जोशी ने नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की वकालत करते हुए डेटा लीकेज और चोरी के बारे में जागरुकता बढ़ाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'निजी क्षेत्र में डेटा लीकेज के मामले आते हैं। सरकारी वेबसाइटों को भी हैक किए जाने के प्रयास हुए हैं। बहुत से लोग इन अपराधों की सूचना नहीं देते। इन पर अंकुश का एक बेहतरीन तरीका प्रणाली को सुरक्षित बनाना है।'
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून के तहत दायर मामलों में इजाफा हुआ है। पिछले साल इसके तहत कुल 4,356 मामले दायर किए गए। वर्ष 2012 में यह आंकड़ा 2,876 का था।
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