बॉम्बे उच्च न्यायालय ने छत्रपति शिवाजी महाराज और अन्य हस्तियों पर बयानों को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी पर कार्रवाई का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पहली नजर में उनकी टिप्पणियां फौजदारी अपराध नहीं मालूम पड़ती हैं. अदालत ने यह भी कहा कि बयान इन हस्तियों के संबंध में वक्ता की समझ और विचारों को दर्शाते हैं, जिसका लक्ष्य दर्शकों/श्रोताओं को समझाना है और उनकी मंशा समाज की बेहतरी के लिए उसको ज्ञान देना है.
शिवाजी महाराज, समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फूले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फूले और मराठी लोगों के बारे में बयानों के कारण कोश्यारी का बतौर राज्यपाल कार्यकाल बहुत ही विवादित रहा और अंतत: पिछले महीने उन्हें पद त्यागना पड़ा.
कोश्यारी को शिवाजी महाराज को ‘‘पुरातन जमाने का आइकन'' कहने को लेकर विवाद झेलना पड़ा था. वहीं, त्रिवेदी ने कथित रूप से कहा था कि मराठा साम्राज्य के संस्थापक ने मुगल बादशाह औरंगजेब से माफी मांगी थी.
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अभय वाघवासे ने 20 मार्च को पनवेल के रहने वाले रामा कतरनवारे द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी.
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