भारत का चंद्रयान-3 लॉन्च होने के 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कर चुका है. इसी के साथ भारत चंद्रमा के डार्क साइड (Lunar South Pole) पर उतरने वाला पहला देश बन गया. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के पूर्व चीफ के सिवन लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्पलेक्स पहुंचे थे. लैंडर विक्रम ने जैसे ही चांद के साउथ पोल पर कदम रखा, के सिवन खुशी से उछल पड़े. उन्होंने इसरो की टीम बधाई दी. चंद्रयान-3 के सफल होने की खुशी इतनी थी कि सिवन लैंडिंग के बाद से घर नहीं गए हैं.
समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में के सिवन ने कहा, "...आखिरकार हमारी प्रार्थनाएं सुनी गई. सपना सच हो गया. लैंडिंग की खुशी इतनी है कि कल से मैं घर नहीं गया हूं. जब तक रोवर लैंडर से बाहर नहीं आया तब तक मैं कंट्रोल रूम में बैठा था. चंद्रमा की सतह पर रोवर को घूमते देखने के बाद ही मैं वहां से निकला. मैं देर रात घर पहुंचा.''
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने कहा, "मैंने चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दिन और बुधवार की तुलना की, तो निश्चित रूप से, चंद्रमा पर जाने और दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने का मेरा सपना कल सच हो गया. इसलिए, मैं बेहद खुश हूं कि कल यह सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हुई."
#WATCH | #Chandrayaan3 | "...Finally our prayers came true. After landing we did not come back, I was still sitting in the control room till the rover came out of the lander. Only after seeing that the rover came out of the lander and moved over the surface of the moon, I came… pic.twitter.com/jFUXbXu9pN
— ANI (@ANI) August 24, 2023
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने कहा, "चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके. वरना हम चार साल पहले ही ये सब कुछ हासिल कर सकते थे. अब हम बहुत खुश हैं कि हमने उस गलती से सीखा और इसे ठीक किया. 2019 में ही हमने चंद्रयान-3 को कॉन्फ़िगर किया और क्या सुधार करना है, यह भी 2019 में ही तय किया गया था. कल हमने उस मेहनत और कोशिश का नतीजा देखा."
बता दें कि चंद्रयान-2 मिशन फेल होने के बाद तत्कालीन इसरो चीफ के सिवन फूट-फूटकर रोने लगे थे. उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें गले लगा लिया था और उन्हें हिम्मद दी थी. सिवन के वो आंसू चांद जीतने की जिद बन गए और आज इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद को मुट्ठी में कर ही लिया.
चंद्रयान-2 के साथ क्या गलती हुई थी?
चंद्रमा पर किसी अंतरिक्ष यान को लैंड कराने के लिए चार प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं. जब चंद्रयान-2 की लैंडिंग हो रही थी तब लैंडर अपने रास्ते से टर्मिनल डिसेंट फेज से करीब तीन मिनट पहले भटक गया. लैंडर को 55 डिग्री के अक्षांश पर घूमना था, लेकिन यह 410 डिग्री से अधिक घूम गया और अंत में हार्ड लैंडिंग हुई. ये चंद्रमा की सतह से टकराकर टूट गया. चंद्रयान-3 के मामले में इस गलती को दुरुस्त किया गया. साथ ही वेग और दिशा को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए इंजनों का टाइम के हिसाब से इस्तेमाल किया गया.
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