भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रमा अभियान चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के लैंडर विक्रम ने बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक सॉफ़्ट लैंडिंग की, जिससे समूचे मुल्क के 1.4 अरब लोगों की आशाएं पूरी हुईं, और धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह पर लैंड करने वाला दुनिया का चौथा देश बनकर भारत विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल हो गया.
लेकिन अब, जब समूचा देश इस शानदार 'मील के पत्थर' को हासिल कर लेने का जश्न मना रहा है, ठीक उसी वक्त चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम (Lander VIkram) और रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan) अपना-अपना काम शुरू कर चुके हैं. बुधवार को विक्रम की लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान उससे बाहर निकलकर चांद की सतह पर पहुंच चुका है.
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार सुबह ताज़ातरीन अपडेट साझा किया, और ट्वीट में लिखा, "चंद्रयान 3 रोवर : मेड इन इंडिया, मेड फॉर मून...! चंद्रयान 3 का रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की...!"
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 24, 2023
Chandrayaan-3 ROVER:
Made in India 🇮🇳
Made for the MOON🌖!
The Ch-3 Rover ramped down from the Lander and
India took a walk on the moon !
More updates soon.#Chandrayaan_3#Ch3
लैंडर और रोवर स्वस्थ हैं : ISRO प्रमुख
इस बीच, ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने NDTV के पल्लव बागला से बातचीत में बताया कि लैंडर और रोवर स्वस्थ हैं और रोवर प्रज्ञान अब लैंडर विक्रम से बाहर आ गया है. उन्होंने कहा, जल्द ही दोनों की तस्वीरें भी जारी की जा सकती हैं.
अगले 14 दिन तक छह पहियों पर चलने वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर विभिन्न प्रयोग करेगा. लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान - दोनों की मिशन लाइफ़ 1 चंद्र दिवस की है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा पर विशिष्ट कार्यों के लिए पांच पेलोड ले गया है.
कई पेलोड मौजूद हैं लैंडर पर
रोवर के अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) का इस्तेमाल रासायनिक संरचना जांचने और खनिज संरचना का अनुमान लगाने के लिए किया जाएगा, ताकि चांद की सतह के बारे में जानकारी को बढ़ाया जा सके.
लैंडर में एक और पेलोड भी मौजूद है - रेडियो एनैटमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर - लैंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP) - जो चंद्रमा की सतह के पास प्लाज़्मा (आयन तथा इलेक्ट्रॉन) के घनत्व को मापेगा और यह भी जांचेगा कि ये समय के साथ कैसे बदलते हैं. इसके अतिरिक्त, चंद्रा'ज़ सरफेस थर्मो फ़िज़िकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) चांद के ध्रुवीय क्षेत्र के पास सतह के थर्मल गुणों को मापेगा. चंद्रमा पर भूकंपीय गतिविधियों को मापने के लिए ले जाया गया उपकरण लैंडिंग स्थल के आसपास की भूकंपीयता को मापेगा.
14 दिन तक काम करने के बाद सौर ऊर्जा से चलने वाले रोवर की गतिविधियां धीमी हो जाने की संभावना है. इस दौरान यह लैंडर विक्रम से संपर्क में रहेगा, जो ISRO को डेटा भेजेगा, क्योंकि ISRO का रोवर से सीधा संपर्क नहीं है.
चंद्रयान मिशन की सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला दुनिया का पहला देश बना दिया है. चंद्रमा का यह क्षेत्र जमे हुए पानी वाला क्षेत्र माना जाता है, जो ऑक्सीजन, ईंधन और पानी का स्रोत हो सकता है.
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