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"सोने को बेड नहीं, कमरे में घूमते हैं चूहे..." : महाराष्ट्र के 8,000 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर

जूनियर महिला डॉक्टर्स बताती हैं कि कमरे में चूहे घूमते हैं, पानी टपकता है, एक कमरे में पांच-पांच लोग रहते हैं और कई बार तो मरीज़ों के ही बेड पर सोना पड़ता है.

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"सोने को बेड नहीं, कमरे में घूमते हैं चूहे..." : महाराष्ट्र के 8,000 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर
मुंबई:

महाराष्ट्र में 8000 रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि हमें दिल्ली, यूपी और बिहार से भी कम स्टायपेंड मिलता है. हॉस्टल के एक कमरे में पांच लोग रहते हैं, चूहे घूमते हैं, कई बार तो मरीज़ के बेड पर ही सोना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हम लंबे समय से सुधार की मांग कर रहे थे, हड़ताल की चेतावनी दे रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से सिर्फ़ आश्वासन ही मिला. अब हम सभी एक साथ हड़ताल पर जा रहे हैं और मरीजों को होने वाली परेशानी के लिए सरकार ज़िम्मेदार है.

देश का सबसे अमीर राज्य महाराष्ट्र में ऐसी तस्वीर हैरान करती है. मरीज़ों की सेवा करने वाले डॉक्टरों को हॉस्टल के कमरे और स्टायपेंड के लिए बार-बार हाथों में तख़्तियां लेकर सरकार के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है. इससे तंग आकर प्रदेश के 8000 रेजिडेंट डॉक्टर गुरुवार शाम से हड़ताल पर चले गए.

महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स सेंट्रल (MARD) के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेल्गे ने कहा, "मरीज़ों को हम तकलीफ़ नहीं पहुंचाना चाहते, लेकिन क्या करें मजबूर हैं. एक साल से मांग कर रहे हैं. कुल डॉक्टरों की संख्या के आधे से भी कम रूम हैं. बिहार-यूपी-दिल्ली से भी कम स्टायपेंड है, वो भी चार-चार महीने देरी से मिलता है. सरकार ने कहा दो दिन में करेंगे, दो हफ़्ते निकल गए."

वहीं जूनियर महिला डॉक्टर्स बताती हैं कि कमरे में चूहे घूमते हैं, पानी टपकता है, एक कमरे में पांच-पांच लोग रहते हैं और कई बार तो मरीज़ों के ही बेड पर सोना पड़ता है.

डॉक्टरों ने कहा, “स्टायपेंड 3-4 महीने देरी से मिलता है. कोई लोन लेकर आया है, शादी हुई है, बच्चे हैं कैसे मैनेज करें बताइए? एक साल से मांग कर रहे हैं. डॉक्टर ख़ुद बीमार पड़ रहे हैं.”

अपनी मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री को तीन पेज की लंबी चिट्ठी लिखी, मुलाक़ात भी हुई. उपमुख्यमंत्री अजित पवार से भी फ़ोन पर बात हुई. हल निकलेगा इसका भरोसा दिया गया, लेकिन कब, ये तय नहीं है. ऐसे में रेजिडेंट डॉक्टर्स, मरीजों की देखभाल में कमी के लिए सीधे सरकार को ज़िम्मेदार बता रहे हैं, हालांकि वो इमरजेंसी सेवाएं देते रहेंगे.
 

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