
प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ा कदम उठाते हुए सागर सुर्यवंशी ग्रुप की करीब 45.26 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां वापस सेवा विकास को-ऑपरेटिव बैंक के लिक्विडेटर को सौंप दी हैं. यह कार्रवाई विनय विवेक अरनहा और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस के तहत की गई. जांच में पता चला कि बैंक के पूर्व चेयरमैन अमर मुलचंदानी ने नियमों को ताक पर रखकर कुछ चुनिंदा उधारकर्ताओं को कर्ज दिए. इसी में आरोपी सागर सुर्यवंशी और उसके परिवार ने मिलकर 10 अलग-अलग लोन लिए, जिनकी कुल रकम करीब 41.42 करोड़ रुपये थी.
ये कर्ज असली मकसद के बजाय संपत्ति खरीदने और निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किए गए. इतना ही नहीं इन पैसों का एक हिस्सा दूसरे आरोपियों और उनकी कंपनियों तक भी पहुंचाया गया, जो या तो नकद निकाला गया या व्यक्तिगत खर्चों में लगाया गया. नतीजा यह हुआ कि ये सारे लोन डूब गए और 31 मार्च 2021 तक इन पर बकाया राशि बढ़कर 60.67 करोड़ रुपये हो गई.
ED ने इस घोटाले में सुर्यवंशी ग्रुप की संपत्तियां अटैच कर ली थीं और 19 मई 2023 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी. बैंक के हजारों जमाकर्ताओं की परेशानियों को देखते हुए ED ने पहल करते हुए बैंक के लिक्विडेटर से बैठकें कीं और उन्हें अदालत में संपत्ति वापसी की अर्जी लगाने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद PMLA की विशेष अदालत, मुंबई में एक आवेदन दाखिल किया गया.
ED ने अदालत के सामने हलफनामा देकर इस आवेदन का समर्थन किया और कहा कि जब्त संपत्तियां वापस बैंक को दी जाएं ताकि असली जमाकर्ताओं तक उनका पैसा पहुंच सके. अदालत ने यह दलील मानते हुए फैसला सुनाया और 45.26 करोड़ रुपये की संपत्तियां बैंक के लिक्विडेटर को सौंपने का आदेश दिया.इस फैसले से सेवा विकास को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उनकी मेहनत की कमाई अब धीरे-धीरे उन्हें लौटाई जा सकेगी.
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