अमरावती में प्रवर्तन निदेशालय ने धन के कथित गबन को लेकर यहां एक निजी अस्पताल में छापा मारा और दोष साबित करने वाली सामग्री एकत्र की. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. निदेशालय के अधिकारियों ने मंगलागिरि में एनआरआई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों सहित कुछ लोगों से भी पूछताछ की. अस्पताल ने इस छापेमारी के संबंध में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की.
इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, लेकिन निदेशालय के अधिकारियों ने कथित घोटाले को लेकर शुक्रवार और शनिवार को एक पूर्व निदेशक और पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी सहित अन्य लोगों से पूछताछ की. निदेशालय के अधिकारियों के चार दल नयी दिल्ली से यहां पहुंचे और छापेमारी अभियान 27 घंटे से अधिक समय तक चला.
निदेशालय के दलों ने यह भी पाया कि 2020-21 में कोविड-19 रोगियों से अत्यधिक बिल के भुगतान के जरिए एकत्र की गई बड़ी रकम को अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया था. आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘‘यह राशि करीब 25 करोड़ रुपये हो सकती है.''
सूत्रों ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के नाम पर लिए गए 40 करोड़ रुपये गोदामों के निर्माण के लिए ऋण के रूप में परिवर्तित करने के वास्ते एक बेनामी कंपनी का इस्तेमाल किया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘कोई निर्माण नहीं हुआ, ना ही ऋण का पैसा लौटाया गया.'' सूत्रों ने कहा कि संदिग्ध लेन-देन को लेकर अस्पताल के कुछ अन्य पूर्व निदेशकों से भी पूछताछ की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘इन लोगों को प्रवासी भारतीयों से भी दान में काफी धन मिला.''
अस्पताल पर आरोप है कि उसके पिछले प्रबंधन ने 2020-21 में कोविड-19 मरीजों के इलाज के दौरान भ्रष्टाचार किया और फर्जी रसीदों के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की. अस्पताल के रिकॉर्ड में 1,500 से अधिक कोविड-19 रोगियों का विवरण दर्ज नहीं किया गया था, जिससे फर्जी खातों के माध्यम से धन की हेराफेरी का संदेह पैदा हुआ.
निजी अस्पताल के पुराने प्रबंधन पर एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए फीस के रूप में एकत्र किए गए धन को कहीं और इस्तेमाल करने और 2017-18 में नए भवनों के निर्माण का भी आरोप लगा. ऐसा बताया जा रहा है कि निदेशालय को पता चला है कि निजी अस्पताल से बड़ी रकम हैदराबाद की एक रियल्टी कंपनी को दी गई थी.
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