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This Article is From Jun 10, 2020

पूर्वी लद्दाख गतिरोध : भारत-चीन के बीच 'सकारात्मक माहौल' में हुई दूसरे दौर की बातचीत- रिपोर्ट

दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे.

पूर्वी लद्दाख गतिरोध : भारत-चीन के बीच 'सकारात्मक माहौल' में हुई दूसरे दौर की बातचीत- रिपोर्ट
, दोनों पक्ष पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे कुछ इलाकों में अब भी आमने-सामने हैं. (file pic)
नई दिल्ली:

पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में जारी सैन्य गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से भारत और चीन की सेनाओं के बीच बुधवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई. इस बात से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी.उन्होंने बताया कि साढ़े चार घंटे से ज्यादा चली वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यथास्थिति बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों पर काफी संख्या में जमे चीनी सैनिकों को तुरंत हटाए जाने पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि मेजर जनरल स्तर की वार्ता ‘‘सकारात्मक माहौल'' में हुई जिसका उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच तनाव में कमी लाना है.गतिरोध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के लिए दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी ओर हॉट स्प्रिंग के कुछ इलाकों में सीमित संख्या में अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया जिसके एक दिन बाद यह वार्ता हुई है.बहरहाल, दोनों पक्ष पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक जैसे कुछ इलाकों में अब भी आमने-सामने हैं.


सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि दोनों सेनाएं गलवान घाटी के गश्ती प्वाइंट 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग इलाके में‘‘पीछे हटी'' हैं. उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष दोनों इलाकों में डेढ़ किलोमीटर तक पीछे चला गया है.पैंगोंग सो में पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं.गतिरोध को समाप्त करने के लिए पहले गंभीर प्रयास के तहत लेह स्थित 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिले डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच छह जून को विस्तृत बातचीत हुई थी.चीन ने बुधवार को कहा कि छह जून को दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच बनी ‘‘सकारात्मक सहमति'' को भारत और चीन ने लागू करना शुरू कर दिया है.


दोनों पक्षों की सेना के पीछे हटने और अपने पूर्ववर्ती स्थिति में लौटने की खबर के बारे में पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं.उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पर स्थिति के बारे में हाल में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर पर प्रभावी वार्ता हुई और सकारात्मक सहमति बनी.''प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिए इस सहमति के आधार पर कदम उठा रहे हैं.''शनिवार को सैन्य स्तर पर वार्ता होने से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर वार्ता हुई थी जिस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संवेदनशीलता और चिंताओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण चर्चा के माध्यम से ‘‘मतभेदों'' को दूर करने का प्रयास करने पर सहमति बनी थी.


मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत द्वारा एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन का तीखा विरोध है. इसके अलावा गलवान घाटी में दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है.पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है. भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा.


दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे. पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही. इसके बाद नौ मई को उत्तर सिक्किम सेक्टर में भी इस तरह की घटना हुई थी.भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी को लेकर है. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत का इस पर अपना दावा है.दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा मसले का अंतिम समाधान जब तक नहीं निकलता, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है.


चीन के शहर वुहान में 2018 में ऐतिहासिक अनौपचारिक शिखर-वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने द्विपक्षीय संबंधों के विकास के हित में भारत-चीन सीमा के सभी क्षेत्रों में अमन-चैन बनाये रखने के महत्व पर जोर दिया था.यह शिखर-वार्ता डोकलाम में दोनों सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध के बाद हुई थी. इस गतिरोध ने दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच युद्ध की आशंकाओं को पैदा कर दिया था.छह जून को हुई वार्ता में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि एलएसी पर शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वुहान शिखर सम्मेलन में मोदी और शी द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन किया जाएगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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