द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत CCEA द्वारा स्वीकृत राशि से 14 गुना अधिक है: कैग

रिपोर्ट से पता चला कि पूरे भारत में, भारतमाला परियोजना के तहत वास्तविक लागत (प्रोजेक्ट पूरी होने की कुल लागत) स्वीकृत लागत से 58 प्रतिशत अधिक थी.

नई दिल्ली:

केंद्र की भारतमाला परियोजना फेज -1 के तहत निर्मित द्वारका  हाईवे की लागत 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा जारी राशि से 14 गुना अधिक हो गई है. यह सरकार के टॉप ऑडिटर कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल या कैग (CAG) ने कहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्सप्रेसवे दिल्ली और गुरुग्राम के बीच NH-48 को समानांतर रूप से चलने वाले 14-लेन नेशनल हाईवे में विकसित करके भीड़भाड़ कम करने के लिए प्राथमिकता दी गई.

इस एक्सप्रेसवे को CCEA द्वारा अनुमोदित प्रति किमी लागत ₹18.20 करोड़ के मुकाबले ₹ 250.77 करोड़ प्रति किमी  की बहुत ऊंची लागत पर बनाया गया.

रिपोर्ट में अप्रैल 2022 से इस पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए कहा गया है. इसके मुताबिक, "द्वारका एक्सप्रेसवे को अंतर-राज्यीय यातायात की सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए न्यूनतम प्रवेश निकास व्यवस्था के साथ आठ-लेन एलिवेटेड कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था." इसे उच्च लागत के कारण के रूप में बताया गया था.

लेकिन भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने कहा कि 55,432 यात्री वाहनों के औसत दैनिक यातायात के लिए आठ लेन (एलिवेटेड लेन) की योजना/निर्माण का रिकॉर्ड पर कोई औचित्य नहीं था. 2,32,959 यात्री वाहनों के औसत वार्षिक दैनिक यातायात के लिए केवल छह लेन (ग्रेड लेन पर) की योजना/निर्माण की गई थी.

यह एकमात्र हाईवे नहीं है, जिसकी स्वीकृत लागत और वास्तविक लागत में अंतर है. रिपोर्ट से पता चला कि पूरे भारत में, भारतमाला परियोजना के तहत वास्तविक लागत (प्रोजेक्ट पूरी होने की कुल लागत)  स्वीकृत लागत से 58 प्रतिशत अधिक थी. 26,316 किलोमीटर की परियोजना लंबाई की स्वीकृत लागत  8,46,588 करोड़ रुपये (32.17 करोड़ रुपये/किमी) थी. जबकि सीसीईए द्वारा अनुमोदित 34,800 किमी की लंबाई की लागत 5,35,000 करोड़ रुपये (15.37 करोड़ रुपये/किमी) थी.

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वहीं, बढ़ती लागत के बावजूद, 34,800 किमी नेशनल हाईवे को पूरा करने की 2022 की समय सीमा पूरी नहीं हुई है. 31 मार्च 2023 तक केवल 13,499 किमी नेशनल हाईवे की लंबाई पूरी की गई है, जो सीसीईए द्वारा अनुमोदित लंबाई का 38.79 प्रतिशत है. इसमें कोविड महामारी के दौरान किया गया निर्माण भी शामिल है.