नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के राजपथ पर 26 जनवरी को होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सुरक्षा तैयारियों में कोई कसर न रह जाए, इसके लिए हजारों की तादाद में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। अर्धसैनिक बल के जवानों के साथ ही आईटीबीपी के डॉग स्क्वॉड को भी तैनात किया गया है। इसका मकसद है कि अगर किसी आतंकी ने कहीं, कोई विस्फोटक लगाया हो तो उसे तुरंत खोजा जा सके।
आईटीबीपी के डॉग स्क्वॉड की यूनिट ने मंगलवार को तीसरी बार राजपथ पर रखे डमी विस्फोटक की पहचान कर ली। चार दिन में ये तीसरी बार है कि नैन्सी, सोनी और निशा अपनी कसौटी पर खरी उतरीं। नैन्सी और निशा ने गणतंत्र दिवस समारोह के मेन एरिया में और सोनी ने राजपथ पर विस्फोटक की पहचान की।
26 जनवरी को कार्यक्रम में आतंकी खतरे को देखते हुए पीएमओ और दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर आईटीबीपी के 20 डॉग्स के साथ रोजाना मॉक ड्रील की जा रही है, ताकि कहीं कोई कसर न रह जाए।
आईटीबीपी ने यहां मेलनॉय, लेब्रा और जर्मन शेफर्ड जैसे डॉग्स को तैनात किया है। इन डॉग्स की सूंघने की क्षमता इतनी तीव्र होती है कि वे 100 से 200 मीटर पहले ही जान जाते हैं कि कहां कोई आईइडी रखी गई है। इन्ही डॉग्स की वजह से नक्सली एरिया में कोई भी आईटीबीपी का जवान नक्सलियों के बिछाए गए आईईडी की जद में नही आया।
आईटीबीपी के डॉग स्क्वॉड की यूनिट ने मंगलवार को तीसरी बार राजपथ पर रखे डमी विस्फोटक की पहचान कर ली। चार दिन में ये तीसरी बार है कि नैन्सी, सोनी और निशा अपनी कसौटी पर खरी उतरीं। नैन्सी और निशा ने गणतंत्र दिवस समारोह के मेन एरिया में और सोनी ने राजपथ पर विस्फोटक की पहचान की।
26 जनवरी को कार्यक्रम में आतंकी खतरे को देखते हुए पीएमओ और दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर आईटीबीपी के 20 डॉग्स के साथ रोजाना मॉक ड्रील की जा रही है, ताकि कहीं कोई कसर न रह जाए।
आईटीबीपी ने यहां मेलनॉय, लेब्रा और जर्मन शेफर्ड जैसे डॉग्स को तैनात किया है। इन डॉग्स की सूंघने की क्षमता इतनी तीव्र होती है कि वे 100 से 200 मीटर पहले ही जान जाते हैं कि कहां कोई आईइडी रखी गई है। इन्ही डॉग्स की वजह से नक्सली एरिया में कोई भी आईटीबीपी का जवान नक्सलियों के बिछाए गए आईईडी की जद में नही आया।