हरियाण के गुरुग्राम में करीब 400 करोड़ के मुआवजे को लेकर, विवाद शुरू हो गया है. इस मुआवजे के लिए 13 लोग सामने आए हैं. जिनमें सभी का नाम चरणजीत ही है. बताते चले कि 2013 में अधिग्रहित की गई थी 8 एकड़ जमीन को लेकर 44 करोड़ 1 लाख 33 हज़ार रुपए का भुगतान किया जाना था.मुआवजा बढ़ोतरी और ब्याज के चलते यह रकम बढ़कर लगभग 400 करोड़ तक पहुंच गयी है. काफी दिनों तक मुआवज़े पर किसी ने दावा नहीं किया था. करीब 400 करोड़ का मुआवजा पाने के लिए अब एक ही नाम चरणजीत के 13 लोगों ने दावेदारी पेश कर दी है.
सभी ने खुद को असली बताते हुए मुआवजे का हकदार बताया है. यह सभी 13 चरणजीत सिंह देश के अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं और 8 एकड़ जमीन का मुआवजा लेने के लिए राजस्व विभाग के पास पहुंचे हैं. इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
बॉलीवुड फिल्मों में दो हमशक्लो की कहानियां अक्सर देखने को मिलती है वास्तविक जिंदगी की इस अनोखी कहानी के पात्र शक्ल से बेशक जुदा है. लेकिन सभी का एक ही नाम चरणजीत सिंह है. उन सभी ने पिता का नाम नंद सिंह रेखी और मां का नाम मंजीत कौर रेखी बताया है. कई ने अपनी वंशावली भी एक ही दिखाई है. यह सारा मामला जब राजस्व विभाग के अधिकारियों के समक्ष आया तो वे भी चकरा गए. दरअसल 13 चरणजीत उस समय सामने आए जब दिल्ली गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के साथ लगती करीब नौरंगपुर गांव की 8 एकड़ जमीन का मुआवजा चरणजीत सिंह के नाम जारी हुआ था.
इस जमीन का कुछ हिस्सा नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और शेष प्रदेश सरकार ने ट्रांसपोर्ट जोन बनाने के लिए 2013 में अधिकृत किया था. जमीन के मालिक यानी चरणजीत सिंह पुत्र नंद सिंह को इसके लिए 44 करोड़ 1 लाख 33 हज़ार रुपए मुआवजे का भुगतान किया जाना था.
आरटीआई एक्टिविस्ट की अधिकार मंच नामक संस्था के सदस्य रमेश यादव ने पूरे विवाद की अपने स्तर पर छानबीन के बाद सीएम विंडो पर शिकायत की. उसके बाद पुलिस कमिश्नर मोहम्मद अकील के हस्तक्षेप से सेक्टर 37 थाने में कादीपुर तहसील की शिकायत पर सभी दावेदारों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. जिनमे 7 लोगों के नाम जोड़े गए हैं वहीं इस मामले में एसीपी सतेंद्र यादव का कहना है कि जल्द ही सभी को तफ्तीश में शामिल कर असली दावेदार का पता लगाया जाएगा .
गौरतलब है कि दिल्ली के ग्रेटर क्लास के रहने वाले चरणजीत सिंह नामक सिख ने यह 8 एकड़ जमीन 1980 में खरीदी थी. बताया जाता है कि कुछ ही समय बाद उनकी मौत हो गई उनके वारिस कंहा और कौन है इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है. सूत्र बताते हैं कि 1984 के दंगों में उनकी मौत के बाद उनका परिवार विदेश जा बसा था और कभी लौटकर नही आया इस जमीन की एक बार फर्जी रजिस्ट्री किए जाने की भी जानकारी सामने आई है इस पूरे प्रकरण में कई नेताओं व उच्च ओहदे वाले प्रशासनिक अधिकारियों की खूब रूचि रही है. वही अब करोड़ो रूपये के मुआवाजा पाने की चाहत रखने वाले सभी चरणजीत सिंह के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है
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