पंजाब में नशे के कारोबार को लेकर सियासी दलों में पेशबंदी का नया दौर शुरू हो गया है। आज भारत-पाक सीमा से महज एक किलोमीटर दूर अटारी में अकाली दल ने भीड़ जुटाकर नशे के कारोबार को संरक्षण देने का आरोप लगाने वाली विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पर जमकर भड़ास निकाली। वहीं अपने नेता और राजस्व मंत्री बिक्रम मजीठिया का इस्तीफ़ा मांगने पर बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया।
नशा तस्करों से ताल्लुकात के आरोपों से घिरे बिक्रम मजीठिया से प्रवर्तन निदेशालय ने बीते 26 दिसंबर को जालंधर में पूछताछ की थी। मजीठिया मंच पर दिग्गज अकाली नेताओं के बीच नज़र आए।
अकाली दल अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने सबसे पहले कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने पंजाब को बदनाम करने की शुरुआत की थी, बिना सुबूतों के 70 फीसद युवाओं को नशे का आदी बताया।'
अपने भाषण में सुखबीर बदल ने कांग्रेस और गांधी परिवार को सिखों का विरोधी तक करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि नशे के कारोबार पर लगाम के लिए वह कई बार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मिले, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।
इसके बाद बीजेपी की बारी आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो संदेश मन की बात में पंजाब में नशे की समस्या पर चिंता जताई थी। सुखबीर बादल ने मोदी से मेक्सिको की सीमा पर तस्करी रोकने की अमेरिका की कोशिशों की तर्ज पर पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी कड़े इंतजाम करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा की सीमा सुरक्षा बल को और मुस्तैद करने के लिए बजट में अलग से राशि का आवंटन होना चाहिए।
लेकिन लगता है बीजेपी भी अकाली दल के सब्र का इम्तेहान ले रही है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने सुखबीर बादल के सुझावों पर दो टूक कह दिया की नशे के खिलाफ अभियान में ज़िम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों की बनती है। उन्होंने नसीहत दी कि जिन मंत्रियों पर नशे के कारोबार से जुड़े होने के आरोप लगे हैं, उन्हें पद से हटकर अकाली दल इस मुहिम को बेहतर दिशा दे सकती है।
वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, एनडीए के दो दलों के बीच चल रही खट पट का पूरा सियासी लाभ लेने की फ़िराक में है। कांग्रेस ने आज बादल सरकार के खिलाफ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया और राजस्व मंत्री बिक्रम मजीठिया के इस्तीफे की मांग की।
कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा की अकाली दल को राहुल गांधी का शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या की तरफ सबका ध्यान खींचा।
अकाली दल ने पहले सीमा सुरक्षा बल के खिलाफ अटारी में धरने का ऐलान किया था, लेकिन सुरक्षा बलों को लेकर जनभावना को भांपते हुए रैली से ऐन पहले पडोसी मुल्क़ों-तस्करी के लिए पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान को ज़िम्मेवार करार दिया।
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