अदाणी समूह ने शनिवार को कहा कि उसे धारावी झुग्गी पुनर्विकास परियोजना पिछली कांग्रेस-शिवसेना गठबंधन की महाविकास अघाड़ी सरकार (एमवीए) ने निष्पक्ष और खुली अंतरराष्ट्रीय बोली के माध्यम से दी थी. अदाणी की धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि दायित्वों और प्रोत्साहनों सहित वित्तीय स्थितियों के बारे में सभी बोलीदाताओं को पता था और बोली पाने वाले के लिए इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ.
अदाणी समूह ने यह बयान तब दिया है जब महाराष्ट्र सरकार द्वारा कथित तौर पर समूह का समर्थन करने के विरोध में उद्धव ठाकरे की शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने धारावी से मुंबई में अदाणी के कार्यालय तक सड़क मार्च निकाला.
बयान के अनुसार, 'धारावी परियोजना एक निष्पक्ष, खुली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अदाणी समूह को प्रदान की गई थी.'
उन्होंने कहा, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निविदा शर्तों को एमवीए सरकार के कार्यकाल के दौरान अंतिम रूप दिया गया था. अंतिम शर्तों को ठेका दिए जाने के बाद बदला नहीं गया है. इसलिए, यह दावा करना गलत है कि बोली विजेता को कोई विशेष लाभ दिया गया है.''
धारावी के पुनर्विकास का उद्देश्य दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती को एक आधुनिक शहरी केंद्र में बदलना और इसके 10 लाख निवासियों का पुनर्वास करना है.
बयान में कहा गया, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि परियोजना के कुछ पहलुओं के बारे में गलत सूचना फैलाने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है. यह दोहराया गया है कि सभी पात्र किरायेदारों को उचित समाधान दिया जाएगा, जिसका अर्थ है कि वे धारावी में ही अपने नए घरों में चले जाएंगे.''
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