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धराली में राहत और बचाव कार्य में क्यों हो रही है इतनी परेशानी?

धराली के आम लोग इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.  कई परिवारों ने अपने घर, व्यवसाय और प्रियजनों को खो दिया है. मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है, लेकिन हर गुजरते घंटे के साथ उम्मीदें कमजोर होती जा रही हैं.

धराली में राहत और बचाव कार्य में क्यों हो रही है इतनी परेशानी?
  • उत्तराखंड के धराली गांव में भीषण क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन से कई घर, होटल और दुकानें मलबे में तब्दील हो गई हैं
  • सड़क टूटने के कारण राहत टीमों और आवश्यक संसाधनों को प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचाने में गंभीर कठिनाई आ रही है
  • भारतीय सेना ने राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाई है और अब तक सत्तर से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला है
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नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को आए भीषण क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन ने पूरे इलाके को तबाही की चपेट में ले लिया है.  खीरगंगा नदी में आई बाढ़ ने कई घरों, होटलों और दुकानों को मलबे में तब्दील कर दिया. अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, लेकिन राहत और बचाव कार्य में कई गंभीर चुनौतियाँ सामने आ रही हैं. 

सड़कें बह गईं, राहत टीमें फंसीं

धराली तक जाने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह बह चुकी है. करीब 150 मीटर सड़क का हिस्सा ध्वस्त हो गया है, जिससे SDRF, NDRF, ITBP और एम्बुलेंस सहित राहत टीमें फंसी हुई हैं. सड़क मार्ग टूटने के कारण भारी मशीनरी और जरूरी संसाधनों को मौके पर पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है. 

मौसम बना सबसे बड़ी बाधा

बारिश थमने के बावजूद लगातार हो रहे भूस्खलन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है. मलबे में दबे लोगों को निकालना जोखिम भरा हो गया है क्योंकि हर पल नई चट्टानें गिरने का खतरा बना हुआ है. इससे NDRF की टीमें भी असहाय नजर आ रही हैं, जो हर संभव प्रयास के बावजूद सभी प्रभावितों तक नहीं पहुंच पा रही हैं 

सेना ने संभाला मोर्चा 

भारतीय सेना ने राहत कार्यों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. अब तक 70 से अधिक लोगों को सेना ने सुरक्षित निकाला है दो अतिरिक्त राहत कॉलम धराली और गंगोत्री भेजे गए हैं. ड्रोन और ट्रैकर डॉग्स की मदद से मलबे में फंसे लोगों की तलाश की जा रही है. साथ ही, हर्षिल से धराली तक सड़क मार्ग खोलने के लिए अर्थ-मूविंग उपकरण तैनात किए गए हैं.

एक्शन में प्रशासन

जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने हेलीकॉप्टर से मौके का निरीक्षण किया है और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं. सरकार और प्रशासन द्वारा खाद्य आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाएं और अन्य जरूरी इंतजाम सुनिश्चित किए जा रहे हैं.  आईटीबीपी के 230 जवान राहत और बचाव अभियान में जुटे हैं और अब तक 100 लोगों को सुरक्षित निकाल चुके हैं. 

हर तरफ तबाही का मंजर

धराली के आम लोग इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.  कई परिवारों ने अपने घर, व्यवसाय और प्रियजनों को खो दिया है. मलबे में दबे लोगों की तलाश जारी है, लेकिन हर गुजरते घंटे के साथ उम्मीदें कमजोर होती जा रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और मौसम की मार ने राहत कार्यों को धीमा कर दिया है. 

आईएमडी ने जारी की भारी बारिश की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग ने आगामी दिनों में फिर से भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे और आपदाओं का खतरा बना हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है.  धराली की यह त्रासदी एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की रणनीति कितनी मजबूत है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे. 

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