
- उत्तरकाशी के धराली गांव में भीषण सैलाब से आई तबाही के बाद मलबे के नीचे फंसी जिंदगियों की तलाश जारी है.
- आर्मी डॉक्टरों के लिए जगह नहीं मिलने पर स्थानीय युवक गिरीश ने अपनी चाय-चाऊमीन की दुकान आर्मी को दे दी.
- SDRF और पुलिस लापता लोगों की खोज में विक्टिम लोकेटिंग कैमरे और एक्सपर्ट डॉग टीम का उपयोग कर रहे हैं.
Dharali Flood Rescue Update: दूर-दूर तक फैला हजारों टन मलबा, गले तक मलबे में दफन बड़े-बड़े वृक्ष, परिजनों को तलाशते लोग और इन सबके बीच जय सोमेश्वर के नारे... यह कहानी है धराली की. जो 5 अगस्त को पहाड़ से अचानक आए भीषण सैलाब की जद में आकर बुरी तरह से तबाह हो गया है. उत्तरकाशी (Uttarkashi) का धराली गांव (Dharali Flood) जो पहले एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में जाना जाता था, अब वीरान हो गया है. हालांकि इस हादसे के बाद धराली के लोगों की जिंदगी की पटरी पर लाने का काम तेजी से चल रहा है. कई दिनों की लगातार मेहनत के बाद हर्षिल में बिजली की आपूर्ति शनिवार को बहाल कर दी गई. धराली में भी अब मलबे के नीचे दफन जिंदगियों की तलाश से लिए हाईटेक मशीनें आ गई है.
धराली से हर एक जानकारी आप तक पहुंचा रहा NDTV
NDTV की टीम आपदा प्रभावित धराली से लगातार हर एक जानकारी आप तक पहुंचा रही है. इस बीच शनिवार को धराली से इंसानियत की बड़ी मिसाल पेश करने वाली भी एक कहानी सामने आई. धराली में सैलाब से प्रभावित लोगों की मदद के लिए आर्मी डॉक्टरों की टीम लगी है. आर्मी के डॉक्टरों को जगह नहीं मिलने पर एक स्थानीय युवक ने अपनी चाय और चाऊमीन की दुकान में सेना को हॉस्पिटल चलाने के लिए जगह दी है.

धराली में चाय-चाऊमीन की दुकान से चल रहा आर्मी हॉस्पिटल.
इंसानियत सर्वप्रथम की बड़ी मिसाल
यह कहानी इंसानियत सर्वप्रथम की है. धराली के पास स्थित मुखबा गांव के गिरीश कुमार सामान्य कैट्रीन चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. टूरिस्ट जब नहीं होते तो वो मजदूरी भी कर लेते हैं. बीते दिनों जब मुखबा में आई भीषण बाढ़ ने पूरे गांव को तबाह कर दिया तब देहरादून से आर्मी की एक मेडिकल टीम यहां पहुंची.
आर्मी की मेडिकल टीम के लिए खाली कर दी दुकान
आर्मी की मेडिकल टीम ने सड़क किनारे टेंट लगाकर अस्थायी कैंप शुरू किया. लेकिन तेज हवा और बारिश ने उनके टेंट को उजाड़ दिया. इसके बाद आर्मी की मेडिकल टीम एक नए जगह की तलाश कर रही थी. तब मुखबा के गिरीश ने इंसानियत की बड़ी मिसाल पेश करते हुए अपने दुकान को खाली कर दिया और वह दुकान आर्मी को अस्थायी हॉस्पिटल चलाने के लिए दे दी.

चाय-चाऊमीन की दुकान से चल रहे मेडिकल सेंटर में फर्स्ट एड की सभी सुविधा.
मेजर डॉ. विष्णु ने बताया- कैसे काम कर रहा यह सेंटर
मेडिकल एड पोस्ट (MAP) के नाम से चल रहे इस सेंटर पर तैनात आर्मी हॉस्पिटल के मेजर विष्णु ने बताया कि रोड ब्लॉक होने के कारण यहां आम लोगों के साथ-साथ मरीजों को भी पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में हमने यहां यह सेंटर बनाया है. यहां हम फर्स्ट एड की सुविधा देते है. उसके बाद जरूरत पड़ने पर दूसरे हॉस्पिटल सेंटर में भेजते है.
उन्होंने बताया यह सेंटर लोकेशन है, गंगोत्री से धराली के बीच का. यहां से हमलोग मरीजों को हर्षिल या देहरादून को रेफर कर रहे हैं. यहां पीएचसी का एक एंबुलेंस है. जिसके जरिए हमने एक प्रेग्नेट लेडी को भी इलाज के लिए आगे भेजा है.

आर्मी हॉस्पिटल के लिए अपनी चाय-चाऊमीन की दुकान देने वाले मुखबा के गिरीश.
मेडिकल सेंटर के लिए अपनी दुकान देने वाले मुखबा के गिरीश कुमार ने कहा पैसे तो हम कभी भी, कहीं से भी कमा सकते हैं. लेकिन इंसानियत कमाना जरूरी है. गिरीश इसी दुकान में कैंटीन चलाते थे. लेकिन अभी उन्होंने अपनी दुकान आर्मी कैंप को दे दी.
SDRF और पुलिस ने लापता लोगों के लिए शुरू किया सर्च ऑपरेशन
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली इलाके में हुए हादसे के बाद उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं। हादसे में मलबे में दबे ध्वस्त भवनों और लापता व्यक्तियों के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

धराली में मलबे के नीचे से जिंदगी की तलाश में जुटे SDRF के जवान.
विक्टिम लोकेटिंग कैमरे से जिंदगी की हो रही तलाश
मलबे के नीचे जिंदगी की तलाश में जुटे एसडीआरएफ टीम के कमांडेंट ने बताया कि प्रोव की मदद से हम विक्टिम लोकेटिंग कैमरे (VLC) को इस्टॉल करते हैं. जिससे जुड़े स्क्रीन पर अंदर के नजारे नजर आते हैं. कटर मशीन का भी प्रयोग किया जा रहा है. मलबों के नीचे जिंदगी को तलाशने के काम में एक्सपर्ट डॉग टीम की भी मदद ली जा रही है.
यह भी पढ़ें - सोमेश्वर देवता को रक्षक क्यों बता रहे धराली के लोग? जानिए मंदिर ने कैसे बचाई लोगों की जान
शनिवार शाम 4 बजे तक 286 लोगों को आईटीबीपी मातली, 153 लोगों को हवाई पट्टी चिन्यालीसौड़, जबकि 10 लोगों को देहरादून रेस्क्यू कर लाया गया. वहीं, सुबह 8 बजे तक 52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया गया था.

छत की चादर काट कर ऐसे विक्टिम लोकेटिंग कैमरे लगा रहे SDRF के जवान.
आपदा प्रभावित परिवारों को अगले 6 महीने का राशन देगी सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने की है. खराब मौसम के बावजूद अब तक 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ देश भर से आए तीर्थयात्री भी शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर्षिल क्षेत्र में बिजली आपूर्ति के लिए उरेडा का पावर हाउस चालू किया गया है. यूपीसीएल द्वारा बिजली तारों की मरम्मत की जा रही है. मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा को बहाल करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही 125 केवी के दो जनरेटर सेट भी आपदा क्षेत्र में पहुंच गए हैं. हर्षिल में सड़क कनेक्टिविटी को ठीक किया जा रहा है.
गंगनानी में बेली ब्रिज का निर्माण तेजी से हो रहा है. भूस्खलन की चपेट में आई सड़कों को भी जल्द ठीक कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि मंगलवार तक हर्षिल तक सड़क मार्ग को पूरी तरह ठीक करने की संभावना है, जिसके बाद अन्य कामों को भी तेजी से पूरा किया जा सकेगा.
पूरी तरह से तबाह हुए मकान वालों को मिलेगा 5 लाख
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के स्तर से प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को अगले 6 महीने का राशन राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा. आपदा से जिन लोगों के मकान पूर्णतः क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए हैं, उनके पुनर्वास या विस्थापन के लिए 5 लाख रुपए की तत्काल सहायता राशि जारी की जाएगी.
यह भी पढ़ें - धराली में जहां अद्श्य हो गए कल्प केदार, तस्वीरें दे रही तबाही की गवाही, लोगों ने की ये मांग
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं