
- उत्तरकाशी के धराली में पहाड़ से आए मलबे के सैलाब ने घर, दुकान और गाड़ियों को पूरी तरह तबाह कर दिया है.
- हादसे में स्थानीय लोगों के मुकाबले नेपाली और बिहारी मजदूरों की संख्या में सबसे ज्यादा लोग हताहत हुए हैं.
- नेपाली युवक सुशील के पिता सहित परिवार के 7 सदस्य इस हादसे के बाद से लापता है. जिसकी तलाश करने वो यहां आए हैं.
Dharali Disaster Ground Report: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव पहाड़ से आए मलबे के सैलाब से बुरी तरह बर्बाद हो चुका है. बीते मंगलवार को यहां पहाड़ से इतनी तेजी से मलबे का सैलाब आया कि घर, मकान, दुकान, गाड़ी सब तिनके की तरह बहते दिखा. इस हादसे के बाद धराली में अब क्या हालात है? इसे जानने-समझने के लिए NDTV की टीम गांव में पहुंच चुकी है. शुक्रवार को धराली में NDTV टीम की मुलाकात एक नेपाली युवक से हुई. जिसका दर्द सुनकर आप हिल जाएंगे.
किसी बेटे को ना सुनने पड़े ये शब्द...
दरअसल धराली में बड़ी संख्या में नेपाली और बिहारी मजदूर रह रहे थे. हादसे में सबसे ज्यादा यहीं मजदूर हताहत हुए. क्योंकि ज्यादातर स्थानीय लोग तो उस दिन मेले में थे. शुक्रवार को धराली में मिले नेपाली युवक ने बताया, 'जब सैलाब आया तो पापा ने कॉल किया बोले 'मुझे बचा बेटे, मैं आधा डूब चुका हूं'. सुशील नामक यह युवक धराली में अपने पिता सहित परिवार के 7 लोगों को तलाशने आए है.
एनडीटीवी से बात में सुशील ने बताया कि उस दिन यहां बम-बारूद फटने जैसे भारी मलबा आ गया था. हादसे के समय मेरे पिता का फोन आया था, पिता ने कहा था कि मुझे बचा बेटे. मैं मलबे में आधा डूब चुका हूं. सुशील के परिवार के 7 लोग इस हादसे के बाद से लापता है.
किसी बेटे को ना सुनने पड़े ये शब्द...
— NDTV India (@ndtvindia) August 8, 2025
'जब सैलाब आया तो पापा ने कॉल किया बोले 'मुझे बचा बेटे, मैं आधा डूब चुका हूं' NDTV से बोला युवक
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4 दिन से अपने परिजनों की तलाश कर रहे सुशील
सुशील ने बताया कि मेरे पिता, तीन चाचा, एक भाई और दो जीजा इस हादसे के बाद से लापता है. हादसे के बाद सुशील जैसे-तैसे यहां पहुंचे. जिसके बाद वो बीते 4 दिन से अपने परिजनों की तलाश कर रहे हैं. सुशील ने बताया कि मैं कभी मुखबा जाता हूं. कभी यहां इधर-उधर भटकता रहता हूं. यहीं ऊपर बगीचे में रात बीताता हूं. लेकिन मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है.
सड़क पर आ गया सुशील का परिवार
सुशील के घर में मां, छोटे भाई-बहन है. परिवार के सभी कमाऊ सदस्य इस हादसे में लापता हो चुके हैं. ऐसे में उनका परिवार बुरी तरह से सड़क पर आ चुका है. सुशील के साथ-साथ एक और नेपाली युवक वहां अपने परिजनों को तलाश रहा है. यह स्थिति धराली में कई लोगों की है.
धराली में इस समय हजारों टन मलबा
धराली में इस समय हजारों टन मलबा फैला है. जहां पहले होटल, मकान, दुकान, सड़क, मंदिर हुआ करती थी, वहां केवल मलबा ही मलबा नजर आता है. दो मंजिले मकान के बेडरूम तक में मलबा भरा है. स्थानीय लोग ऊपर सोमेश्वर मंदिर में बने अस्थायी कैंप में जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं.
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