
Jharkhand Elections: इक आग का दरिया और पार कर जाना है...ये शेर कठिनाइयों को बयान करने के लिए बयान की गई है, लेकिन देश में एक ऐसी भी जगह है जहां लोग आग के दरिया को बिस्तर बनाकर सोते हैं और उसी पर रहते हैं. दुनिया की शायद ये इकलौती जगह है जहां लोग धधकते आग के ऊपर रहते हैं. यह जगह है धनबाद का झरिया (Dhanbad Jharia Coal Field). देश की कोयला राजधानी.
कई सालों से लगी है आग
यहां जमीन के नीचे बेशकीमती कोयले की खदानें हैं. कहीं पिछले 100 साल से तो कहीं 20 साल से इन खदानों में आग लगी हुई है और ये आग धीरे-धीरे फैलते हुए लोगों के घर, खेत और बिस्तर के नीचे पहुंच चुकी है. यानी ऊपर लोग अपने घरों में रह रहे हैं और उनके घर के ठीक नीचे जमीन जल रही है. यहां हजारों परिवार और लाखों लोग रोज़ इन अंगारों के ऊपर रहकर अपनी जिंदगी से खेलते हैं. कभी खेतों में चढ़ते जानवर इस आग की भेंट चढ़ जाते हैं तो कभी पूरा का पूरा घर जमीनदोज हो जाता है. कभी धरती फटती है और यह आग जमीन से बाहर निकलकर इन लोगों के घरों को आगोश में ले लेती है.
ऐसी है यहां की जिंदगी
कितनों ही लोगों ने अपने परिजनों को यहां गंवा दिया है और जो जिंदा बचे हैं, वो भी एक अजीब सी जद्दोजहद वाली जिंदगी जीते हैं. यहां के हर घर में कैंसर, फेफड़े की बीमारी , दमे की बीमारी और ब्लड प्रेशर की मरीज भरे पड़े हैं. कारण है चौबीस घंटे इनका आग और धुएं के बीच में रहना. उस्मान अंसारी भी इन्हीं तरह के बीमारियों से ग्रस्त हैं. बताते हैं कि इन गांववालों का मानना है कि अगर इन्हें मुआवजा दिया जाए तो ये दूसरी जगह जाने को तैयार हैं पर मुआवजे के मामले में गांव वालों और CCL के बीच समन्वय बैठता ही नहीं है.
मदद की आस में लोग
खय्याम अंसारी बताते हैं अब जबकि चुनाव सर पर है और नेता हर घर दस्तक दे रहे हैं, तो फिर से वही राग अलापा जाएगा. वहीं कोरे आश्वासन और वहीं झुनझुना लोगों को फिर से पकड़ाया जाएगा कि एक बार सरकार बन जाए, फिर इन्हें इस नर्क से निकाल लिया जाएगा. ये कोयलांचल जहां देश को एक अनमोल खनिज देती है , वही यहां के लोगों को नर्क जैसी जिंदगी देती है और रोज मौत के करीब ले जाती है. ज़रूरत है सरकार को इनकी ओर झांकने की और इस समस्या का हल खोजने की.
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