"लोकतंत्र खतरे में...", विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने राहुल गांधी के समर्थन में निकाला मार्च

सांसदों के मार्च को राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने "लोकतंत्र खतरे में" का बैनकर लेकर अपना मार्च शुरू किया था.

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च निकालने का प्रयास किया. सांसदों ने विजय चौक के पास से विरोध मार्च प्रारंभ किया. हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी. सांसदों के मार्च को राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने "लोकतंत्र खतरे में" का बैनकर लेकर अपना मार्च शुरू किया था. पुलिस ने उन्हें विजय चौक के पास ही हिरासत में ले लिया. पुलिस ने सांसदों को हिरासत में लेने के बाद एक बयान भी जारी किया. जिसमे कहा गया है कि सासंदों के पास राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालने के लिए अनुमति नहीं थी. 

बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा सदस्‍यता गंवानी पड़ी है. 'मोदी सरनेम' मामले में टिप्‍पणी को लेकर सूरत कोर्ट की ओर से दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद यह फैसला हुआ है. आर्टिकल 102(1)(e) के तहत यह फैसला किया गया है. सूरत कोर्ट के फैसले वाले दिन यानी 23 मार्च से राहुल गांधी की सदस्‍यता चली गई है.

गौरतलब है कि मोदी सरनेम वाले मानहानि केस (Defamation Case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को गुरुवार को सूरत कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, कोर्ट ने उनको तत्काल जमानत भी दे दी. साथ ही उन्हें ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत देते हुए उनकी सजा को निलंबित किया था.

दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है.

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राहुल गांधी को दो साल की सजा मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व कांग्रेस नेता और वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्बल ( Kapil Sibal) ने गुरुवार को ही कहा था कि राहुल दो साल की जेल की सजा के साथ एक सांसद के रूप में स्वत: अयोग्य हो जाते हैं हालांकि यह सजा अपने आप में "विचित्र" है.मशहूर वकील तथा BJP के सांसद महेश जेठमलानी ने भी NDTV से बातचीत में कहा, "कानून के मुताबिक वह अयोग्य हैं, लेकिन इस फैसले की जानकारी स्पीकर को दी जानी होगी... लेकिन आज की तारीख में वह अयोग्य हैं..."