उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जो हिंसा हुई उसमें पुलिस लगातार सवालों के घेर में रही है. या तो वो थी नहीं अगर कहीं थी भी तो मूक-दर्शक बनी रही. अब सवाल ये भी उठ रहा है कि दिल्ली में इतने बड़े पैमाने पर जो हिंसा हुई उसकी वजह क्या थी, वो लोग कौन थे जिन्होंने दिल्ली को लहुलुहान किया. इन सवालों पर एक तरफ़ उत्तर पूवी दिल्ली के स्थानीय लोग बताते हैं कि हथियारबंद भीड़ बाहर से आई थी तो दूसरी तरफ़ क्राइम ब्रांच के 90 अफ़सरों की SIT इसकी जांच कर रही है जिसको इसके पीछे स्थानीय अपराधियों की भूमिका लगती है और जिनकी धरपकड़ जारी है. दिल्ली के जाफराबाद में 27 साल के शाहरुख की धरपकड़ के लिए छापे जारी हैं. लेकिन पुलिस के सामने ये सवाल है कि जिस शख़्स का पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, उसके पास ऐसी फ़ायरिंग के लिए हथियार कहां से आया? इसी तरह भजनपुरा, शिवविहार और चाँदबाग जैसे इलाकों में जबरदस्त फायरिंग हुई. जांच में पता चला है कि इस फायरिंग के पीछे बड़े पैमाने पर स्थानीय अपराधियों का हाथ है. इन लोगों ने खुद भी फायरिंग की और फायरिंग के लिए युवाओं को हथियार भी मुहैया कराए.
तो क्या सो रहा था खुफिया विभाग?
अब तक हुई पड़ताल में पता चला है कि इस हिंसा में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों जिसमें देसी कट्टों का इस्तेमाल हुआ है और माना जा रहा है कि ये हथियार यूपी बॉर्डर से लाए गए थे. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 13 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है और 80 लोग घायल हुए हैं. सवाल इस बात का है कि क्या दिल्ली में हिंसा के लिए काफी दिनों से तैयारी हो रही थी और जब इन अवैध हथियारों को दिल्ली में इकट्ठा किया जा रहा था तो इसकी भनक हमारे इंटेलीजेंस यानी खुफिया विभाग को क्यों नहीं लगी.
अब तक हुई पड़ताल की बड़ी बातें
13 से ज्यादा लोगों की मौत गोली लगने से हुई है
80 से ज्यादा लोगों को गोली लगी है
हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत भी गोली लगने से हुई
जो 500 लोग पकड़े गए हैं उनमें कई अपराधी हैं
इनके ठिकानों से बड़े पैमाने पर अवैध हथियार और कारतूस बरामद हो रहे हैं
हिंसा वाली जगहों से भी भारी मात्रा में खाली कारतूस मिले हैं.
दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस पर उठ रहे हैं सवाल
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