दिल्ली में स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान.
नई दिल्ली:
महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छता दिवस मनाया गया और कई बड़े आयोजन हुए. लेकिन समर्पण के साथ गांधी दर्शन का प्रसार करने वाले गांधी शांति प्रतिष्ठान की सुध लेने वाला कोई नहीं है. राजधानी दिल्ली में ही स्थित यह संस्थान आर्थिक संकट से गुजर रहा है.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद लोगों के एक-एक रुपये के चंदे से दिल्ली का गांधी शांति प्रतिष्ठान बना था. इस प्रतिष्ठान में काम करने वाले ज्यादातर लोग जयप्रकाश नारायण के जमाने के हैं. वे 10 से 15 हजार के वेतन पर सालों से गांधी जी के दर्शन को किताबों के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं. इन किताबों की कोई रॉयल्टी भी नहीं लेता है.
गांधी शांति प्रतिष्ठान के बगल के घर में जयप्रकाश नारायण रहते थे. वे गांधी शांति प्रतिष्ठान के संस्थापक सदस्य थे और इसी घर से जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा बुलंद किया था. गांधी शांति प्रतिष्ठान के प्रबंधक मनोज भाई ने बताया कि तीन कमरे के इस घर में पहले जेपी रहते थे. आपातकाल के दौरान यहीं से उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद अनुपम मिश्र यहां रहते थे.
यह भी पढ़ें : सेवाग्राम : गांधी जी के कच्चे घरों वाले गांव में पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं पर विवाद
मीडिया से दूर यहां देशभर के गांधीवादी हर साल दो अक्टूबर को जुटते हैं. इस बार मंगलवार को सुबह करीब दस बजे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र विनोद भले ही विकलांग हैं लेकिन बिना बुलाए ही यहां पहुंच गए. उन्होंने यहां गांधी जी की रंगोली तैयार की. गांधी शांति प्रतिष्ठान में बिहार के समस्तीपुर से बुजुर्ग भागवत राय आए. पैरों में चप्पल और हाथ में एक प्लास्टिक का थैला लेकर गणेश नारायण देवी को सुनने के लिए आए.
हालांकि हाल के दिनों में कई आर्थिक परेशानियों से यह संस्थान गुजर रहा है. जनरल पब्लिकेशन को भी आर्थिक अभाव के कारण बंद करना पड़ा है. प्रतिष्ठान के अध्यक्ष भी मानते हैं कि वे युवा पीढ़ी तक गांधी के दर्शन को नहीं पहुंचा सके हैं.
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गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि हम नई पीढ़ी को गांधी के विचारों को बताने में विफल रहे हैं. सालभर हमारी यह कोशिश रहेगी कि गांधी के विचारों को फैलाया जाए.
VIDEO : जनआंदोलन बना स्वच्छता मिशन
गांधी जी के जन्मदिन पर लाखों रुपये खर्च करके स्वच्छता दिवस मनाया गया लेकिन गांधी जी को पोस्टर से नहीं बल्कि उनकी जिंदगी को पढ़कर उनके दर्शन को समझने की जरूरत है.
महात्मा गांधी की हत्या के बाद लोगों के एक-एक रुपये के चंदे से दिल्ली का गांधी शांति प्रतिष्ठान बना था. इस प्रतिष्ठान में काम करने वाले ज्यादातर लोग जयप्रकाश नारायण के जमाने के हैं. वे 10 से 15 हजार के वेतन पर सालों से गांधी जी के दर्शन को किताबों के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं. इन किताबों की कोई रॉयल्टी भी नहीं लेता है.
गांधी शांति प्रतिष्ठान के बगल के घर में जयप्रकाश नारायण रहते थे. वे गांधी शांति प्रतिष्ठान के संस्थापक सदस्य थे और इसी घर से जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा बुलंद किया था. गांधी शांति प्रतिष्ठान के प्रबंधक मनोज भाई ने बताया कि तीन कमरे के इस घर में पहले जेपी रहते थे. आपातकाल के दौरान यहीं से उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद अनुपम मिश्र यहां रहते थे.
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मीडिया से दूर यहां देशभर के गांधीवादी हर साल दो अक्टूबर को जुटते हैं. इस बार मंगलवार को सुबह करीब दस बजे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र विनोद भले ही विकलांग हैं लेकिन बिना बुलाए ही यहां पहुंच गए. उन्होंने यहां गांधी जी की रंगोली तैयार की. गांधी शांति प्रतिष्ठान में बिहार के समस्तीपुर से बुजुर्ग भागवत राय आए. पैरों में चप्पल और हाथ में एक प्लास्टिक का थैला लेकर गणेश नारायण देवी को सुनने के लिए आए.
हालांकि हाल के दिनों में कई आर्थिक परेशानियों से यह संस्थान गुजर रहा है. जनरल पब्लिकेशन को भी आर्थिक अभाव के कारण बंद करना पड़ा है. प्रतिष्ठान के अध्यक्ष भी मानते हैं कि वे युवा पीढ़ी तक गांधी के दर्शन को नहीं पहुंचा सके हैं.
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गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि हम नई पीढ़ी को गांधी के विचारों को बताने में विफल रहे हैं. सालभर हमारी यह कोशिश रहेगी कि गांधी के विचारों को फैलाया जाए.
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गांधी जी के जन्मदिन पर लाखों रुपये खर्च करके स्वच्छता दिवस मनाया गया लेकिन गांधी जी को पोस्टर से नहीं बल्कि उनकी जिंदगी को पढ़कर उनके दर्शन को समझने की जरूरत है.
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