विज्ञापन
This Article is From Jan 10, 2023

सेना के खिलाफ ट्वीट केस में बढ़ सकती है शेहला राशिद की मुश्किल, दिल्‍ली के LG ने दी मुकदमा चलाने को मंज़ूरी

जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष और आइसा की सदस्य शेहला राशिद शोरा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है. फरवरी 2016 में जेएनयू कैंपस में हुई कथित देशविरोधी नारेबाजी मामले में पहली बार शेहला रशीद का नाम मीडिया की सुर्खियों में आया था. इसके बाद लगातार वो ट‍्विटर पर ट्रोलर्स के निशाने पर भी रहीं.

भारतीय सेना का कहना है कि शेहला राशिद द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और झूठे हैं(प्रतीकात्‍मक फोटो)

नई दिल्‍ली. दिल्ली के उपराज्‍यपाल वी.के. सक्सेना ने जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष और आइसा की सदस्य शेहला राशिद शोरा के खिलाफ विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव को बिगाड़ने में लिप्त होने के उद्देश्य से भारतीय सेना के बारे में दो ट्वीट करने के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। उक्त अभियोजन स्वीकृति केस एफआईआर नंबर 152/2019 दिनांक 03.09.2019 से संबंधित है. आईपीसी की धारा 153ए, पीएस-स्पेशल सेल, नई दिल्ली के तहत अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा की गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. 

बता दें कि ये प्रस्ताव दिल्ली पुलिस द्वारा लाया गया और गृह विभाग, जीएनसीटीडी द्वारा इसका समर्थन किया गया. इसमें बताया गया कि 18.08.2019 को, कश्मीर निवासी सुश्री शेहला राशिद ने भारतीय सेना के बारे में दो विवादित ट्वीट किए. एएनआई ने सेना के हवाले से उसी दिन शेहला के आरोपा का खंडन करते हुए ट्वीट किया, “भारतीय सेना का कहना है कि शेहला राशिद द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और झूठे हैं। इस तरह की असत्यापित और फर्जी खबरें असामाजिक तत्वों और संगठनों द्वारा लोगों को भड़काने के लिए फैलाई जाती हैं।”

इसके बाद वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने शेहला राशिद के आपत्तिजनक ट्वीट और भारतीय सेना द्वारा एएनआई के माध्यम से किए गए खंडन के संबंध में शिकायत की और एक प्राथमिकी दर्ज की गई. गृह विभाग, जीएनसीटीडी ने फाइल पर अपनी टिप्पणियों में कहा है, "मामले की प्रकृति, स्थान और सेना के खिलाफ झूठे आरोप लगाना इसे एक गंभीर मुद्दा बनाता है. आपराधिक कानून के तहत हर ट्वीट पर कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए. लेकिन इस मामले में शेहला राशिद ने जम्मू-कश्मीर में धार्मिक दोष फैलाने की कोशिश की है. मामला आईपीसी की धारा 153ए के तहत आता है. यह सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित है.”

इस मामले में एलजी वी.के. सक्सेना ने सीआरपीसी 1973 की प्रासंगिक धारा 196 के तहत अभियोजन स्वीकृति प्रदान की है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com