दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को कहा कि शहर के सरकारी अस्पताल कोविड के मामलों में बढ़ोतरी से निपटने के लिए ‘पूरी तरह से लैस‘ हैं. इसी की तैयारी का जायज़ा लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के कई अस्पतालों में मंगलवार को ‘मॉक ड्रिल' (छद्म अभ्यास) की गई. स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने वाले सिसोदिया ने मॉक ड्रिल का आकलन करने के लिए दोपहर मे दिल्ली सरकार के लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल का दौरा किया और बाद में संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली सरकार ‘किसी भी तरह की आपात स्थिति के लिए तैयार है.‘
सिसोदिया ने अस्पताल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘एलएनजेपी में 200 बिस्तर हैं और इनमें से 450 कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित हैं. यदि आवश्यकता पड़ती है और हम सभी 2000 बिस्तर कोविड-19 के लिए समर्पित कर सकते हैं. हम निकटवर्ती भोज कक्षों का इस्तेमाल करके इस संख्या को बढ़ा भी सकते हैं और कोविड-19 के लिए 500 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था कर सकते हैं, ताकि कोई कमी न हो.‘ उन्होंने कहा, ‘‘पहले की तुलना में ऑक्सीजन की उपलब्धता में 10 गुणा वृद्धि हुई है, पांच पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐब्जॉर्प्शन) संयंत्र यहां स्थापित किए गए हैं और वेंटिलेटर भी उपलब्ध हैं.‘ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पताल ‘कोविड से लड़ने के लिए पूरी तरह से लैस है.‘ उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पताल और स्वास्थ्य निदेशालय ‘कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.‘
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिसोदिया ने दोपहर करीब 12 बजे एलएनजेपी का दौरा किया और ‘मॉक ड्रिल' के तहत तैयारियों की समीक्षा के लिए 30 से 40 मिनट वहां बिताए. देश भर के कई अस्पतालों ने मंगलवार को कोविड-19 के मामलों में किसी भी बढ़ोतरी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की जांच के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि उपकरणों और मानव संसाधनों की परिचालन संबंधी तैयारियों का आकलन करना महत्वपूर्ण है. दिल्ली में, एलएनजेपी अस्पताल के अलावा, केंद्र के तहत आने वाले सफदरजंग अस्पताल जैसे कई अन्य सरकारी अस्पतालों और दक्षिणी दिल्ली के अपोलो अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में भी मॉक ड्रिल की गई. एक अस्पताल सूत्र ने कहा, “ जिला प्रशासन के अधिकारियों ने सोमवार को अस्पताल का दौरा किया था और हमारी चिकित्सकीय तैयारी को जांचा था. मंगलवार को मॉक ड्रिल की गई.” उपमुख्यमंत्री ने लोगों से कहा कि वह घबराए नहीं. उन्होंने कहा कि शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस का नया बीएफ.7 उपस्वरूप पहले के स्वरूपों की तरह ही है.
एलएनजेपी के चिकित्सकीय निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन लोगों को सतर्क रहना चाहिए, कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और टीकों की एहतियाती खुराक लेनी चाहिए. ‘मॉक ड्रिल' में बिस्तरों की उपलब्धता, चिकित्साकर्मियों, रेफरल संसाधनों, जांच की क्षमता, चिकित्सकीय उपकरण एवं अन्य सामान, टेलीमेडिसिन (दूरसंचार एवं डिजिटल माध्यमों की मदद से चिकित्सा सेवा) सेवा और चिकित्सकीय ऑक्सीजन उपलब्धता समेत अन्य पहलुओं की समीक्षा की गई. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार के एक पोर्टल पर आमजन के लिए बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर की उपलब्धता का वास्तविक समय के आधार पर डेटा मंगलवार से उपलब्ध होगा. एक अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 संबंधी जांच में भी जल्द तेजी लाए जाने की संभावना है और इस समय शहर में रोजाना करीब 2,500 से तीन हजार नमूनों की जांच की जा रही हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में अब तक महामारी के करीब 20,07,143 मामले आ चुके हैं और 26,521 मरीजों की मौत हो चुकी है. नवंबर के मध्य से ही संक्रमण के दैनिक मामलों की संख्या 20 से कम और संक्रमण दर एक प्रतिशत से कम है.
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