दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल तस्वीर)
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि लोकायुक्त की नियुक्ति 28 अक्तूबर तक हो जाने की संभावना है।
दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति आरएस एंडला को सूचित किया और विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की इस विषय पर पक्षकार बनाने की मांग का विरोध किया।
गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन शर्मा ने दलील दी कि विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के बावजूद उनके मुवक्किल से आप सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के विषय पर संपर्क नहीं किया है।
दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 28 अक्तूबर तक नियुक्ति हो जाएगी और तब संबंधित याचिका अर्थहीन हो जाएगी।
इसी बीच, अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन ने इस मामले पर केंद्र की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा।
अदालत भाजपा नेता सतप्रकाश राणा की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने मांग की है कि लोकायुक्त के पद पर किसी न किसी की नियुक्ति होनी चाहिए क्योंकि यह पद पिछले 21 महीने से रिक्त है।
राणा ने कहा था कि नियुक्ति नहीं होने से लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों का कानूनी अधिकार बाधित हो रहा है। दिल्ली सरकार ने पहले अदालत में अपने हलफनामे में कहा था कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार सभी संबंधित वैधानिक प्राधिकारों से संपर्क किया जाएगा।
गुप्ता ने अपने हस्तक्षेप आवेदन में दलील दी है कि दिल्ली लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम, 1995 के तहत नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष के नेता से परामर्श करने का प्रावधान है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के हलफनामे में जो यह दावा किया है कि उसने लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपना सुझाव देकर परामर्श प्रक्रिया शुरू की है, झूठा और गुमराह करने वाला है क्योंकि उनके साथ कोई परामर्श प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई है।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 26 सितंबर को इसी मुद्दे पर एक अन्य जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल से लोकायुक्त का पद भरने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि विधायी प्रावधान राज्य के लिए अविलंब इस पद पर नियुक्ति भरना अनिवार्य बनाता है।
दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति आरएस एंडला को सूचित किया और विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की इस विषय पर पक्षकार बनाने की मांग का विरोध किया।
गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन शर्मा ने दलील दी कि विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के बावजूद उनके मुवक्किल से आप सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के विषय पर संपर्क नहीं किया है।
दिल्ली सरकार के वकील गौतम नारायण ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 28 अक्तूबर तक नियुक्ति हो जाएगी और तब संबंधित याचिका अर्थहीन हो जाएगी।
इसी बीच, अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन ने इस मामले पर केंद्र की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा।
अदालत भाजपा नेता सतप्रकाश राणा की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने मांग की है कि लोकायुक्त के पद पर किसी न किसी की नियुक्ति होनी चाहिए क्योंकि यह पद पिछले 21 महीने से रिक्त है।
राणा ने कहा था कि नियुक्ति नहीं होने से लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों का कानूनी अधिकार बाधित हो रहा है। दिल्ली सरकार ने पहले अदालत में अपने हलफनामे में कहा था कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार सभी संबंधित वैधानिक प्राधिकारों से संपर्क किया जाएगा।
गुप्ता ने अपने हस्तक्षेप आवेदन में दलील दी है कि दिल्ली लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम, 1995 के तहत नियुक्ति प्रक्रिया में विपक्ष के नेता से परामर्श करने का प्रावधान है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के हलफनामे में जो यह दावा किया है कि उसने लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अपना सुझाव देकर परामर्श प्रक्रिया शुरू की है, झूठा और गुमराह करने वाला है क्योंकि उनके साथ कोई परामर्श प्रक्रिया शुरू ही नहीं की गई है।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 26 सितंबर को इसी मुद्दे पर एक अन्य जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल से लोकायुक्त का पद भरने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि विधायी प्रावधान राज्य के लिए अविलंब इस पद पर नियुक्ति भरना अनिवार्य बनाता है।
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