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बिजली का पोल क्यों जला? दिल्ली में 7 मासूमों की मौत का असली दोषी कौन?    

दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि अस्पताल में सात बच्चों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि पांच नवजात शिशुओं का इलाज चल रहा है. शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल ले जाया गया है.

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बिजली का पोल क्यों जला? दिल्ली में 7 मासूमों की मौत का असली दोषी कौन?    
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नई दिल्ली:

दिल्ली के शाहदरा इलाके में स्थित बेबी केयर न्यूबॉर्न अस्पताल में लगी आग की चपेट में आकर सात नवजात बच्चों की मौत हो गई. जबकि पांच बच्चे बुरी तरह से घायल हो गए. पुलिस ने इस मामले में पश्चिम विहार के भैरों एंक्लेव निवासी अस्पताल मालिक नवीन किची के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि यह बिल्डिंग तीन मंजिला थी. पहली मंजिल पर बच्चे थे और दूसरी पर स्टोर था. इस इमारत में कई ऑक्सिजन सिलेंडर रखे हुए थे. आग लगने के बाद इनमें धमाके हुए. जिससे आग और तेजी से फैल गई.

आखिर कैसे लगी आग

आग लगने की शुरुआती वजह बिजली का पोल बताया जा रहा है. बिजली के पोल में अचानक से आग लग गई. पोल के नीचे गाड़ियां खड़ी थी और वो भी आग की चपेट में आ गई. इसके बाद ऑक्सिजन सिलेंडरों ने आग पकड़ ली. आग फैलती गई और 4-5 ब्लास्ट हुए. आग के कारण ऑक्सिजन सिलिंडर 50 मीटर तक दूर जाकर गिरे. साथ वाले घरों में भी आग लग गई.

एनओसी था कि नहीं होगी इसकी जांच

चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग के मुताबिक शनिवार रात 11:32 बजे आग की कॉल आई थी. उनके मुताबिक पहले 7 गाड़ियां भेजी गईं. उसके बाद 14 और गाड़ियों को रवाना किया गया. गर्ग ने एनडीटीवी को बताया कि इस बिल्डिंग ने एनओसी ली थी या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. अभी बिल्डिंग का कोई रिकॉर्ड नहीं है. अगर एनओसी नहीं होगी, तो बिल्डिंग को बंद करने के लिए लिख दिया जाएगा.

चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग ने बताया कि हम लोगों ने दो टीम बनाई थी. एक टीम ने खिड़की से बच्चों को निकाला. एक ने आग पर काबू पाया. बच्चों को एक-एक करके निकाला. कुल 12 बच्चे थे. वहां मौजूद लोगों के अनुसार पहले बिजली के पोल में आग लगी थी. हालांकि इसकी जांच अभी चल रही है. 

बिजली का पोल क्यों जला? 

क्या बिजली के पोल के कारण ये आग लगी? इसकी जांच पुलिस कर रही है. वहीं कई बार बिजली का लोड बढ़ने से पोल में आग लग जाती है. हालांकि पोल में आग लगने की असली वजह जांच के बाद ही सामने आ सकेगी.

हॉस्पिटल पर भी सवाल 

इस इलाके में रहने वाली वंदना ने बताया कि वो टीवी देख रही थी. एक ब्लास्ट की आवाज आई. हमें लगा कोई पटाखा है. जब दूसरा ब्लास्ट आया तो हमें लगा कि कुछ अनहोनी हुई है. हम बालकनी में आए. आग की लपटें ऊपर तक उठ रही थीं.

उन्होंने कहा कि रेजिडेंशल एरिया में इस तरह का कोई अस्पताल नहीं खुलना चाहिए. इस अस्पताल में आए दिन खूब सारे सिलेंडर आते थे, जो हादसे की वजह भी बन गए. एक अन्य महिला ने कहा कि रेजिडेंशल एरिया में यह सिलेंडर की इजाजत क्यों दी गई है. वहीं अस्पताल का मालिक नवीन किची पुलिस के घर पहुंचने से पहले ही भाग गया. पुलिस का मानना है कि वह जयपुर में हो सकता है और उसे ढूंढने और गिरफ्तार करने के लिए एक टीम गठित की गई है. 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस हादसे में, जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खोया है, हम उनके साथ खड़े हैं. घटनास्थल पर सरकार और प्रशासन के अधिकारी घायलों को इलाज मुहैया करवाने में लगे हुए हैं. (भाषा इनपुट के साथ)

ये भी पढ़ें-  राजकोट और फिर दिल्ली, 7 घंटे में  15 बच्चों की मौत से सदमे में देश

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