कहते हैं इंसानियत का कोई धर्म नहीं होता दिल्ली के शास्त्री पार्क (Shastri Park) के रहने वाले आसिम इसकी जीती-जागती मिसाल हैं. आसिम (Aasim) को 19 सितंबर को शास्त्री पार्क में एक 5 साल का बच्चा मिला था, जिसे वो एक महीने से पाल रहे हैं और अपने ऑटो में बैठाकर दिन रात उसके मां बाप की तलाश करते हैं.
40 साल के ऑटो ड्राइवर आसिम इस बच्चे को लेकर अपनी ऑटो में दिल्ली की तमाम सड़कों पर इसके मां बाप को ढूंढते फिरते हैं, पिछले महीने लगभग 5 साल की उम्र के ये बच्चा आसिम को रोते हुए शास्त्री पार्क की लाल बत्ती पर मिला था. आसिम ने पुलिस भी बुलाई और नियम के मुताबिक़ पुलिस बच्चे को अनाथालय (Orphanage) भी ले गई, लेकिन कोविड की समस्या के चलते आसिम ने बच्चे को अपने पास ही रख लिया.
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आसिम ने एनडीटीवी को बताया, " मैंने पीसीआर कॉल की, पुलिस ने इसका मेडिकल कराया फिर बोला अनाथालय ले जाओ, वो कोविड की समस्या के चलते हुआ नहीं. ये बच्चा मुझे नहीं छोड़ता. मैं ऑटो से और ऐसे बाइक पर भी ढूंढता हूं लगभग 1500 किलोमीटर चल चुका हूं."
आसिम शास्त्री पार्क की एक तंग गली में अपनी पत्नी अनीशा और दो बेटियों के साथ एक छोटे से कमरे में रहते हैं. आसिम और अनीशा का घर और जेब भले ही क्यों न छोटी हो लेकिन दिल बहुत बड़ा है. अनीशा जैसे अपनी दोनों बेटियों का अपने हाथ से खाना खिलाती है, वैसे ही इस बच्चे को भी अपने हाथ से खिलाती हैं.
इस बच्चे को आसिम के परिवार से इतना प्यार मिलती है कि वो पूरी तरह इस परिवार के साथ घुल मिल गया है. अनीशा ने बताया, "अपने बच्चों की तरह रखती हूं, खिलाती हूं नहलाती हूं, कपड़े पहनाती हूं. हम चाहते हैं कि इसके मां-बाप मिल जाएं."
लगभग 5 साल का ये बच्चा न अपने मां बाप का नाम बता पा रहा है, न अपना पता, बस सिर्फ़ इतना कहता है कि उसकी मां उसे लल्ला कहकर बुलाती थीं. आसिम धर्म से मुसलमान हैं, पर वो न इस बच्चे को मस्जिद ले जाते हैं और न ही नमाज़ पढ़ने की तालीम ही देते हैं. आसिम का कहना है कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है. यही वजह है कि वो हर रोज़ इस बच्चे मां बाप को ढूंढते फिरते हैं.
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