सर्दियों की दस्तक के बीच दिल्ली की हवा खराब (Delhi Air Quality) होती जा रही है. 23-24 अक्टूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘बेहद खराब' श्रेणी में रहने की आशंका के चलते प्रदूषण नियंत्रण योजना के दूसरे चरण के तहत आने वाले उपाय लागू किए गए हैं. केंद्र सरकार के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने प्रदूषण में वृद्धि की आशंका के बीच शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्राधिकारियों को निजी परिवहन को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क में बढ़ोतरी और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बसों, मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देने का निर्देश दिया है. सर्दी के दौरान वायु प्रदूषण (Air Pollution) से निपटने के लिए दिल्ली-एनसीआर में लागू की जाने वाली केंद्र सरकार की चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के दूसरे चरण के तहत यह निर्देश दिया गया है.
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दिल्ली में हवा की स्थिति पर हुई समीक्षा बैठक
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की स्थिति की समीक्षा करने के लिए हुई एक बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्वानुमानों से पता चलता है कि प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण 23 और 24 अक्टूबर को दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता के गिरकर 'बहुत खराब' श्रेणी में जाने की आशंका है.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) जीआरएपी को सक्रिय रूप से लागू करने के लिए जिम्मेदार एक वैधानिक निकाय है. दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार को 248 रहा. इसलिए आयोग ने पूरे एनसीआर में जीआरएपी के पहले चरण के तहत पहले से उठाए जा चुके कदमों के अलावा दूसरे चरण के उपाय लागू करने का निर्णय लिया.आयोग ने एक आदेश में कहा, 'एनसीआर में सभी संबंधित एजेंसियां जीआरएपी के पहले चरण के उपायों के अलावा, दूसरे चरण में परिकल्पित उपाय तत्काल प्रभाव से लागू करें.”
चार चरणों में लागू होती है GRAP
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है. पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201-300 यानी ‘खराब' होने पर लागू किया जाता है. दूसरा चरण एक्यूआई 301-400 (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण एक्यूआई 401-450 (गंभीर) होने पर और चौथा चरण एक्यूआई 450 से अधिक (गंभीर से भी ज्यादा) होने पर लागू किया जाता है. पहले चरण में 500 वर्ग मीटर के बराबर या उससे अधिक के उन भूखंड पर निर्माण और तोड़फोड़ परियोजनाओं पर काम रोकने का आदेश दिया जाता है जो धूल रोकने के उपायों की निगरानी से संबंधित राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होते हैं.
इसके अलावा पहले चरण में दिल्ली के 300 किलोमीटर के अंदर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों और ताप ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है और होटल, रेस्तरां व खुले भोजनालयों के तंदूर में कोयले और जलावन लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाता है. निर्माण और तोड़फोड़ वाले स्थलों से निकलने वाली धूल पर काबू पाने के लिए दिशानिर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भी पहले चरण के तहत आता है.
हवा बेहद खराब होने से पहले उठाए कदम
दूसरे चरण के तहत उठाए जाने वाले कदमों में व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से पार्किंग शुल्क बढ़ाना और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बस और मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देना शामिल है. तीसरे चरण के तहत, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में पेट्रोल से चलने वाले बीएस-3 इंजन वाले और डीजल से चलने वाले बीएस-4 चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रावधान है.
चौथे चरण में सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है. राज्य सरकारें ऐसी स्थितियों के दौरान स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी व निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने के बारे में निर्णय लेने के लिए भी अधिकृत है.
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