फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भारत में इस बात पर बहस छिड़ी है कि यूएई से मदद ली जाए या नहीं. वहीं केरल को 700 करोड़ की मदद पर भारत में यूएई के राजदूत अहमद अलबाना का कहना है कि अब तक मदद के लिए आधिकारिक तौर पर कोई रकम तय ही नहीं की गई है. इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के मुताबिक, अलबाना ने कहा कि अभी हालात का जायज़ा लेकर कितनी मदद की जाए इसका अंदाज़ा लगाया जा रहा है और अंतिम राशि अभी तक तय नहीं की गई है. वहीं भारत सरकार साफ कर चुकी है कि वह अपनी एक मौजूदा नीति के तहत बाढ़ प्रभावित केरल के लिए विदेशी सरकारों से वित्तीय सहायता स्वीकार नहीं करेगा.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सरकार केरल में राहत और पुनर्वास की जरूरतों को घरेलू प्रयासों के जरिए पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. केरल में बाढ़ राहत अभियानों के लिए कई देशों ने मदद की घोषणा की है. एक ओर यूएई ने केरल को 700 करोड़ रुपये की पेशकश की है्. वहीं कतर ने 35 करोड़ रुपये और मालदीव ने 35 लाख रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. हालांकि कुमार ने कहा कि गैर प्रवासी भारतीयों और फाउंडेशनों जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष में भेजे गए चंदे का स्वागत है. केरल सरकार यूएई से चंदा स्वीकार करने की इच्छुक है.
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वहीं केंद्रीय मंत्री केजे अल्फ़ोंस ने NDTV से बात करते हुए कहा कि वो केंद्र सरकार से अपील करेंगे कि विदेशी मदद ली जाए. पाकिस्तान के नए पीएम इमरान ख़ान ने कहा है कि केरल के लिए मदद की ज़रूरत पड़ी तो पाकिस्तान तैयार है. इमरान ख़ान ने ट्वीट कर कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो हम मानवीय सहायता के
लिए तैयार हैं.
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केरल के बाढ़ पीड़ितों के लिए देश के हर कोने से राहत का सामान भेजा जा रहा है. पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से भी कल एक ट्रेन राहत सामग्री लेकर रवाना हुई. इसमें मदद करने केरल के छात्र और कई लोग जुटे. केरल में आई भयानक बाढ़ के मामले में केरल ने कहा है कि इसकी दोषी तमिलनाडु सरकार है. केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तमिलनाडु ने मुल्लापेरियार बांध से केरल की ओर बहुत सारा पानी छोड़ा जिसके चलते बाढ़ आ गई.
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हरे-भरे चाय बागानों के लिए मशहूर मुन्नार में बाढ़ के बाद तबाही का आलम है, इन चाय बागानों को फिर से अपना पुराना रुप अखित्यार करने में महीनों लग सकते हैं. बारिश और बाढ़ का केरल के दिन कारोबारों पर सबसे बुरा असर पड़ा है उनमें फूलों का कारोबार भी है... ओणम के समारोह रद्द हो जाने की वजह से फूलों के खरीदार कम हो गये हैं जिसका सीधा-सीधा असर इससे जुड़े लोगों की रोज़ी रोटी पर पड़ा है.
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