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This Article is From Jul 12, 2017

NDTV की ख़बर का असर : मध्य प्रदेश के किसान की मदद के लिए आगे आया प्रशासन

बैल ना होने पर बेटियों को हल में जोतने की ख़बर के मीडिया में आने के बाद हरकत में आए प्रशासन ने किसान के घर जाकर किसान को खेती का यंत्र कुल्पा दिया और बेटियों की पढ़ाई का इंतजाम कराया. 

NDTV की ख़बर का असर : मध्य प्रदेश के किसान की मदद के लिए आगे आया प्रशासन
खेत से खरपतवार निकालने के लिए किसान ने हल में बैल की जगह बेटियों को लगा दिया था
भोपाल: मध्य प्रदेश में नसरुल्लागंज तहसील के बसंतपुर पांगरी के किसान सरदार बारेला को खेत में खरपतवार निकालने के लिए कुल्पा मिल गया, प्रशासन ने समझाया खेती के काम में बेटियों को ना लगाएं. बेटियों की पढ़ाई के इंतजाम के लिए आदेश आ गया और राशन की दुकान से राशन का इंतज़ाम हो गया. मानवाधिकार आयोग ने भी प्रशासन से पूरे मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है.

एनडीटीवी ने 9 जुलाई को सरदार बारेला की माली हालत के बारे में बताया था कि किस तरह बैल नहीं होने के कारण उसकी बेटियों को जुताई के काम में लगना पड़ता है. सीहोर ज़िले के बसंतपुर पांगरी में सरदार बारेला बैल की जगह हल में अपनी दो बेटियों को जोत कर खेत की निंदाई का काम कर रहा था.

एक नजर में लगता है कि तस्वीरें खिंचवाने के मकसद से ऐसा किया गया हो, लेकिन ये हकीकत है. पहले तो प्रशासन ने भी इन तस्वीरों को झुठला दिया था, लेकिन प्रशासन बाद में हरकत में आया. अपर जिलाधिकारी चंद्रमोहन मिश्रा ने बताया कि जैसे ही उन्हें सूचना मिली, उन्होंने पंचायत सीईओ को वहां फौरन सहायता देने के लिए भेजा. प्रशासन ने खेती के औजार से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक सरकारी प्रावधानों के तहत करवाने की मदद की.

वैसे ख़बर दिखाए जाने के अगले दिन सरकारी अधिकारी किसान को हड़काने पहुंच गये थे. पंचायत सचिव लाल मियां ने सरदार बरेला से कहा था कि वह बच्चियों से काम करवाता है और किसान भी नहीं है. पंचायत सचिव ने उसे जेल भेजने की धमकी दी थी. 

मीडिया में लगातार ख़बरों में बने रहने के बाद भी मध्य प्रदेश में किसान की हालत में कोई सुधार नहीं आ रहा है. किसान आंदोलन के बाद से अब तक 51 किसान खुदकुशी कर चुके हैं.
 

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