महाराष्ट्र सरकार ने राजधानी मुंबई के डब्बावालों को लोकल ट्रेन (Local Train) में यात्रा करने की अनुमति दे दी है. इससे उन्हें कार्यालयों तक डब्बाबंद भोजन पहुंचाने में आसानी होगी. डब्बावालों को सरकार से यह छूट लॉकडाउन लागू होने के करीब साढ़े छह महीने बाद मिली है.
महाराष्ट्र सरकार ने विदेशी वाणिज्यिक दूतावासों और उच्चायोग के कर्मचारियों को भी लोकल ट्रेन में सफर करने की मंजूरी दे दी है। अभी तक लोकल ट्रेन केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के लिए ही चलाई जा रही है। मुंबई में खाने के डिब्बे पहुंचाने वाले दुनिया भर में मशहूर डब्बावालों ने पिछले महीने कहा था कि टिफिन सेवा के 130 साल के इतिहास में कभी भी छह महीने का अंतराल नहीं आया था। डब्बावालों ने पूरी क्षमता के साथ अपनी सेवा बहाल करने के वास्ते लोकल ट्रेन उपयोग करने की सुविधा दिए जाने की मांग की थी।
काफी वक्त और पैसा हो रहा था बर्बाद
कोविड-19 के प्रतिबंधों की वजह से अभी केवल वही डब्बावाले सेवाएं दे रहे हैं, जो साइकिल से आ-जा सकते हैं। लेकिन इसमें काफी वक्त बर्बाद होता है और एक दिन में सैकड़ों लोगों तक खाना पहुंचाना मुमकिन नहीं है. लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति मिलने से डब्बावाला खुश हैं.
पांच हजार से अधिक डब्बावाले
मुंबई में पांच हजार से अधिक डब्बावाले टिफिन पहुंचाने का व्यवसाय करते हैं। महामारी फैलने से पहले सामान्य दिनों में वे कार्यालय जाने वाले लोगों तक दो लाख से अधिक टिफिन पहुंचाते थे। समय पर और कम लागत में टिफिन पहुंचाने के लिए डब्बावाले लोकल ट्रेन सेवा का सहारा लेते थे।
क्यूआर कोड से छूट की मांग
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने कहा कि लोकल ट्रेन में यात्रा के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी क्यूआर कोड वाले पहचान पत्र अनिवार्य होंगे. डब्बावालों ने अनुरोध किया है कि उन्हें उनके पहचान पत्र के आधार पर यात्रा करने की अनुमति दी जाए. मुंबई डब्बावाला संघ के प्रवक्ता सुभाष तालेकर ने कहा कि लोकल ट्रेन में यात्रा से जिंदगी दोबारा पटरी पर लौटेगी.
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