
ब्रह्मांड के शुरुआती दौर की आवाजों को सुनने का सपना अब हकीकत के और करीब पहुंच सकता है. इसमें मदद करेगा एक बेहद छोटा कंप्यूटर, जो क्रेडिट कार्ड के आकार का है. वैज्ञानिकों ने इसे 'प्रतुश' नाम के एक खास अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार किया है. प्रतुश को बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) की टीम ने डिजाइन किया है. यह मिशन उस समय के रहस्यों को उजागर करेगा, जब ब्रह्मांड में पहली बार तारे और आकाशगंगाएं बनी थीं. इस काल को कॉस्मिक डॉन कहा जाता है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि यही समय ब्रह्मांड की आगे की दिशा तय करने वाला था. लेकिन अब तक इसकी सही जानकारी नहीं मिल पाई है, क्योंकि उस दौर के रेडियो संकेत बेहद कमजोर और शोर में दबे हुए हैं.

कैसे काम करेगा प्रतुश?
प्रतुश में लगाया गया डिजिटल रिसीवर सिस्टम इतना संवेदनशील है कि यह हाइड्रोजन परमाणुओं से निकलने वाले बेहद मंद रेडियो सिग्नल पकड़ सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह ऐसा है जैसे शोरगुल भरे स्टेडियम में किसी की फुसफुसाहट सुनना. पृथ्वी पर मौजूद रेडियो शोर और एफएम प्रसारण इन संकेतों को दबा देते हैं. इसलिए वैज्ञानिक इसे भविष्य में चंद्रमा की कक्षा से संचालित करने की योजना बना रहे हैं, जहां रेडियो हस्तक्षेप बहुत कम होता है.

देखन में छोटन लगे पर...
इस सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर (एसबीसी), जो आकार में छोटा लेकिन बेहद कारगर है. यह रिसीवर, एंटीना और एफपीजीए चिप से आने वाले डेटा को संभालकर ब्रह्मांडीय संकेतों को रिकॉर्ड करता है. आरआरआई के वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटे आकार और कम ऊर्जा खपत के बावजूद यह कंप्यूटर जटिल काम बेहद सटीकता से कर सकता है.
परीक्षणों में पाया गया कि यह तकनीक लंबे समय तक डेटा इकट्ठा करने के बाद भी बेहद कम शोर पैदा करती है. इससे कॉस्मिक डॉन से जुड़े संकेतों का पता लगाना संभव हो सकेगा.
अगर यह मिशन सफल होता है, तो इंसान, पहली बार ब्रह्मांड की उस आवाज को सुन पाएगी, जो अरबों साल पहले तारों के जन्म के साथ गूंजी थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं