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This Article is From May 18, 2023

विदेश में क्रेडिट कार्ड यूज करने पर ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी जेब, जानें- रूल्स में क्या हुए हैं बदलाव

सरकार ने बजट 2023 में विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस की टीसीएस की मौजूदा दर 5% से बढ़ाकर 20% कर दिया था. शिक्षा और मेडिकल खर्चों को छोड़कर नई दर दर 1 जुलाई 2023 से लागू होगी. हालांकि, टीसीएस आप टैक्स रिटर्न में क्लेम कर सकते हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सलाह के बाद सरकार ने फेमा के नियमों में बदलावों को मंजूरी दे दी है.

नई दिल्ली:

अगर आप भारत से बाहर की यात्रा करते रहते हैं, और खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड (20% TCS On Credit Card) का इस्तेमाल करते हैं; तो अब ऐसा करना आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. सरकार ने इससे जुड़े नियम में बदलाव किया है. अब आप विदेशों में क्रेडिट कार्ड से जो भी पेमेंट करेंगे. उस पर आपको 20 फीसदी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स यानी TCS देना होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सलाह के बाद सरकार ने फेमा के नियमों में बदलावों को मंजूरी दे दी है. नए नियम 1 जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे.

दरअसल, केंद्र सरकार ने गुरुवार को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के नियमों को संशोधित किया है. इसके बाद एक अधिसूचना में सरकार ने कहा कि भारत से बाहर क्रेडिट कार्ड से खर्च की गई रकम को लिब्रराइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) में लाया जा रहा है. सरकार ने बजट 2023 में विदेशी टूर पैकेज और एलआरएस की टीसीएस की मौजूदा दर 5% से बढ़ाकर 20% कर दिया था. शिक्षा और मेडिकल खर्चों को छोड़कर नई दर दर 1 जुलाई 2023 से लागू होगी. हालांकि, टीसीएस आप टैक्स रिटर्न में क्लेम कर सकते हैं.

अब तक कितनी रकम भेजने की है छूट?
विदेशों में बसे भारतीयों को भारत में पैसा भेजने का अपना कानून है. इसे लिबरलाइज़्ड रेमिटेंस स्कीम या उदारीकृत धन प्रेषण योजना कहते हैं. इस योजना के तहत 2.5 लाख डॉलर की रकम आरबीआई की अनुमति के बिना भेजी जा सकती है. इससे ऊपर की रकम के लिए इजाज़त देनी होगी. पहले फेमा के रूल 7 के तहत इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड को इससे बाहर रखा गया था. लेकिन ये रूल 7 अब हटा दिया गया है, जिससे विदेशों में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी इस योजना में शामिल हो गया है. यानी अब आप क्रेडिट कार्ड का बाहर इस्तेमाल करेंगे, तो वो एलआरएस के दायरे में आएगा.

क्यों बदले गए नियम?
वित्त मंत्रालय ने बताया कि फेमा कानून में बदलाव करने का मकसद डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भेजी गई रकम के टैक्स संबंधी पहलुओं में समानता लाना है. इससे विदेश में खर्च की गई राशि पर लागू दरों पर ‘स्रोत पर कर संग्रह' (टीसीएस) किया जा सकेगा.    

आरबीआई ने सरकार से की थी अपील
मंत्रालय के मुताबिक, आरबीआई ने भी कई बार सरकार को इस बारे में लिखा था कि विदेश में डेबिट और क्रेडिट से किए जाने वाले पेमेंट को लेकर अलग बर्ताव खत्म किया जाना चाहिए. 

क्या कहते हैं आंकड़े?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में एलआरएस के तहत कुल 19.61 अरब डॉलर बाहर भेजे गए. जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 12.68 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि बढ़कर 24 अरब डॉलर हो गई.


नियमों में बदलावों को आपके लिए क्या मतलब है?
एक सामान्य व्यक्ति के तौर पर क्रेडिट कार्ड के लिए इस नियम में बदलाव के दो असर होंगे. पहला- जब आप भारत में हैं, लेकिन विदेशी वेबसाइट्स या विदेशी मुद्रा में अपने क्रेडिट कार्ड्स पर इंटरनेशनल स्पेंड्स की सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये बहुत बार होता है, जब आप कोई खरीदारी करते हैं या किसी सब्सक्रिप्शन को खरीदते हैं. जिस समय आप ये करते हैं, तो छोटी से छोटी राशि पर 20% TCS लगेगा. क्योंकि ये बिना किसी लिमिट के लागू है.

दूसरा- जब आप विदेश जाते हैं और फिर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. यहां भी हर ट्रांजैक्शन के लिए 20% TCS लागू होगा. साधारण शब्दों में, जब आप विदेश में पैसा खर्च करते हैं या विदेशी मुद्रा में खर्च करते हैं, तो आपका खर्च 20% बढ़ जाएगा. इसके लिए, आपको अपने विदेश में खर्च के लिए ज्यादा पैसा रखना होगा.

क्या डिडक्ट हुआ पैसा वापस पा सकते हैं?
हां... आप ऐसा कर सकते हैं. जो पैसा कटेगा, वो इनकम टैक्स विभाग के रिकॉर्ड्स में आपके पैन कार्ड पर दिखेगा. इसका मतलब है कि आप इसे टैक्स लायबिलिटी के लिए एडजस्ट कर सकते हैं.

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