अप्रैल में कोविड की चपेट में आए दिल्ली के 39 वर्षीय डॉक्टर की एक फेफड़े का प्रतिरोपण कराने के करीब 13 दिन बाद हैदराबाद के एक अस्पातल में मौत हो गई. डॉक्टर के पारिवारिक मित्र ने शनिवार को यह जानकारी दी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने 16 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर बीमार डॉ. अमित गुप्ता को तत्काल वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करने के लिये कहा था. आयोग ने हाल में कहा था कि दिल्ली सरकार ने डॉ गुप्ता को इलाज की लागत के रूप में 83,43,819 रुपये की प्रतिपूर्ति की है.
कोरोना ने फेफड़ों पर डाला घातक असर, लंग ट्रांसप्लांट की बढ़ रही मांग पर डोनर नही
जुलाई के पहले हफ्ते में डॉक्टर के परिवार वालों ने दावा किया था कि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के आश्वासन के बावजूद गुप्ता को दिल्ली सरकार से अब तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है. दिल्ली सरकार ने तब कहा था कि वह डॉ गुप्ता और उनके परिवार के साथ खड़ी है और परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया चल रही है. डॉ अमित गुप्ता ने यहां सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के कोविड वार्ड में एक साल से अधिक समय तक काम किया था. उन्होंने पहली बार 19 अप्रैल को कोविड के लक्षण अनुभव किए और 22 अप्रैल को उनके वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. चूंकि अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध नहीं था, इसलिए उनके सहयोगियों ने उनका इलाज ड्यूटी रूम के अंदर किया.
हार्ट ट्रांसप्लांट करा चुके 56 साल के शख्स ने दी कोरोना को मात, डॉक्टर बोले-ये चमत्कार से कम नहीं
इसके बाद उन्हें रोहिणी के श्री अग्रसेन अस्पताल ले जाया गया. लेकिन जब उनकी हालत बिगड़ी तो 11 मई को उन्हें गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. इसके बाद गुप्ता को हैदराबाद के यशोदा अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) सपोर्ट पर रखा गया था और बाद में दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां एक अगस्त को उनके एक फेफड़े का प्रतिरोपण हुआ. गुप्ता के पारिवारिक मित्र ने कहा, ''शनिवार को उनका निधन हो गया. उनके फेफड़े का प्रत्यारोपण हुआ था, लेकिन शायद उनका शरीर इसे सहन नहीं कर सका. सर्जरी के बाद उन्हें कुछ जटिलताएं हो गई थीं.''
बीएसएफ जवान के ट्रांसप्लांट के लिए 23 किलोमीटर के ग्रीन कॉरिडोर से 22 मिनट में लीवर पहुंचाया
उनके परिवार में पत्नी हैं जोकि कि डॉक्टर हैं. इसके अलावा उनके परिवार में एक छह साल का बेटा, माता-पिता और एक बहन है. उनका परिवार मई में सिकंदराबाद में किराए के मकान में शिफ्ट हो गया था. उनके इलाज के लिए परिवार ने चंदा इकट्ठा करने की योजना शुरू की थी, जिससे 26 लाख रुपये जमा हुए थे. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 18 मई को ट्वीट किया था कि गुप्ता के इलाज का खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. मंत्री ने कहा था, ''हमारे कोरोना योद्धा हमारी ताकत हैं और दिल्ली सरकार इस कठिन समय में उनके साथ खड़ी है.'' फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरडा) ने भी गुप्ता के मामले का हवाला देते हुए, जैन को पत्र लिखकर अस्पतालों में भर्ती संक्रमित डॉक्टरों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करने का अनुरोध किया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं