दिल्ली हाई कोर्ट ने एक शिक्षक के खिलाफ 9 साल पहले दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द कर दिया है. दरअसल शिक्षक पर आरोप है कि उन्होंने ए बी सी डी न बोल पाने वाले तीन साल के बच्चे को थप्पड़ मारा. इस मामले की सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी स्थिति में बच्चे को शारीरिक दंड निंदनीय काम है, भले ही इसके पीछे उद्देश्य बच्चे को इस बात का एहसास दिलाना हो कि उसका किया कार्य गलत और अस्वीकार्य है.
क्या है पूरा मामला
इस मामले बच्चे के चेहरे पर चोट के निशान मिलने की बात सामने आई. पूछने पर बच्चे ने उस वक्त बताया था कि ए बी सी डी नहीं सुना पाने पर शिक्षक ने उसे थप्पड़ जड़ा था. इसी मामले में शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी. हालांकि इस मामले पर शिक्षक ने अपनी सफाई में कहा कि बच्चे को चोट पहुंचाने का उसका कोई इरादा नहीं था. इसी मामले अब शिकायतकर्ता महिला ने भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गया है.
हाई कोर्ट ने क्या बोला
जज अनूप कुमार की पीठ ने इस मामले में बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के प्रावधान का भी जिक्र किया. साथ ही कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सही उपायों की जरूरत है कि स्कूल अनुशासन को बच्चे की गरिमा के अनुरूप तरीके से प्रशासित किया जाना चाहिए. बच्चे को सजा देने के लिए किसी तरह की यातना नहीं दी जाएगी. इसके अलावा बच्चे के साथ अमानवीय या अपमानजनक रवैया अपनाया जाएगा.
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